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संसाधन विहीन प्रयोगशाला में तैयार हो रहे बाल वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों की नर्सरी ही अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई है। प्रयोग के जरिये वैज्ञानिक बनने के सपने लेकर दाखिला लेने वाले बाल वैज्ञानिकों के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं। प्रयोग के दावे बदहाल प्रयोगशाला झुठला रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 11:35 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:07 AM (IST)
संसाधन विहीन प्रयोगशाला में तैयार हो रहे बाल वैज्ञानिक
संसाधन विहीन प्रयोगशाला में तैयार हो रहे बाल वैज्ञानिक

बस्ती : वैज्ञानिकों की नर्सरी ही अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई है। प्रयोग के जरिये वैज्ञानिक बनने के सपने लेकर दाखिला लेने वाले बाल वैज्ञानिकों के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं। प्रयोग के दावे बदहाल प्रयोगशाला झुठला रहे हैं।

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1911 में स्थापित जीआइसी में 1965 से भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान के प्रयोगशाला संचालित किए जा रहे हैं। 15 दिसंबर से विद्यालय में यूपी बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं शुरू होगी। अधूरे प्रयोग से कैसे छात्र परीक्षा में सफल होंगे इसको लेकर सवाल हैं। वाटर प्लांट, गैस प्लांट नहीं है। मैनुअल व्यवस्था से काम चलाया जाता है। शिक्षक सुरेश चंद्र वर्मा ने कहा, पुराने उपकरण से प्रयोग हो रहे हैं। जल व गैस प्लांट लगने से आसानी होगी। भौतिकी प्रयोगशाला में भी पानी की व्यवस्था नहीं है। पुराने चल सूक्ष्मदर्शी से काम चल रहा है। नए उपकरण की जरूरत है। प्रयोगशाला में जो उपकरण थे भी वह इधर-उधर फेंके दिखे। कर्मियों का भी अभाव है। प्रभारी शिक्षक वागीश पाठक से काम चलाया जा रहा है। 1998 से जीव विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। जीव विज्ञान का प्रयोगशाला भी संसाधन विहीन दिखा।

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छह माह होता है प्रयोग :

छात्रों को छह माह प्रयोग कराया जाता है। सप्ताह में दो दिन, एक घंटे 20 मिनट समय दिया जाता है। अब तक 40 दिन छात्र प्रयोग कर चुके हैं। सौ-सौ छात्र कक्षा 11 व कक्षा 12 में भौतिकी व रसायन के व 60-60 छात्रों का जीव विज्ञान में प्रयोग कराया जा रहा है। विद्यालयों के मानक के अनुसार अब तक प्रयोग के क्लास औसत में चले हैं।

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प्रयोगशाला में उपकरण उपलब्ध हैं। जो उपकरण नहीं हैं उनको जल्द मंगवाया जाएगा। वाटर सप्लाई व गैस प्लांट व्यवस्थित करने का प्रयास होगा। यहां नियमित प्रयोग कराए जाते हैं।

शिव बहादुर सिंह, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कालेज

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385 विद्यालय संचालित :

जिले में 385 विद्यालय संचालित हैं। इसमें 70 विद्यालय सहायता प्राप्त जबकि 20 राजकीय विद्यालय हैं। 295 विद्यालय वित्तविहीन के हैं।

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जीआइसी ने दिए कई वैज्ञानिक :

जीआइसी के विज्ञान प्रयोगशाला ने कई वैज्ञानिक दिए हैं। इस कालेज से सांसद, इंजीनियरिग से लेकर डाक्टर निकले हैं। डा. राकेश पांडेय वर्तमान में बिहार के एक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं। डा. विकास पाठक राजस्थान में आइपीएस हैं। मो. सदाब फ्रांस में वैज्ञानिक हैं। अनिल गिरि आइपीएस हैं। शैलेंद्र मिश्र एडीएम नोएडा, जगदंबिका पाल सांसद हैं। सतीश द्विवेदी वर्तमान में बेसिक शिक्षा मंत्री हैं। डा. पीके श्रीवास्त्व, डा. अनुराग चिकित्सक हैं।

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विद्यालयों में विभाग प्रयोगशाला में संसाधन उपलब्ध रहते हैं। नियमित निरीक्षण कर स्थिति से अवगत भी होते हैं। जो कमियां होती हैं सुधार के निर्देश दिए जाते हैं। जहां शिक्षक नहीं हैं वहां वैकल्पिक व्यवस्था है।

डा. बृजभूषण मौर्य, जिला विद्यालय निरीक्षक


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