नए कपड़े पहनकर पहली बार करने गए मतदान
बड़े बूढ़े सभी में मतदान को लेकर था गजब का उत्साह नेता पैदल प्रचार करते थे रात होने पर गांव में ही रुक जाते थे
जागरण संवाददाता, कुदरहा,बस्ती : महादेवा विधान सभा क्षेत्र के छरदही गांव निवासी राधिका प्रसाद दूबे 103 साल के हैं। सुबह-शाम लोग इनके पास बैठते हैं तो सबको पहले के चुनावी माहौल और नेताओं के सिद्धांत की चर्चा करते हैं। कहते हैं पहले दल नहीं विचारधारा देखा जाता था। कहा मुझे याद है पहला चुनाव 1951 में हुआ था। उस समय मेरी उम्र 25 साल की थी। मतदान को लेकर सभी में बड़ा उत्साह था। कर कोई एक दिन पहले से ही मतदान की तैयारी में जुट गया था। नए कपड़े पहनकर पुरुष और महिलाएं वोट डालने को घर से निकली थीं। महिलाएं सुबह ही खाना बनाकर घर से मतदान के लिए गाते हुए निकल पड़ी थीं। मुझे पूरा याद है गांव से तीन किमी की दूरी पर छप्पर में स्कूल चलता था और वहीं मतदान केंद्र बना था। राम जानकी मार्ग चकरोड हुआ करता था। मतदान केंद्र दूर-दूर बने थे। कोई बैलगाड़ी से तो कोई पैदल ही मतदान को जा रहा था। मतदान केंद्र पर लाइन लगाकर वोट डाला जा रहा था। पहले चुनाव में दरी बिछाकर 15-20 लोगों के बीच नेता अपनी बात रखते थे। कार्यकर्ता पैदल ही गांव-गांव जाकर प्रचार करते थे। जहां रात हो जाती थी नेता और उनके समर्थक वहीं रूक जाते थे। रात में उनकी बात सुनने के लिए लोग एकत्र होते थे। पहले चुनाव में विचारधारा की लड़ाई होती थी। कांग्रेस के अलावा कम्युनिस्ट व जनसंघ जैसी पार्टियां मैदान में थीं। जाति-पांति का नामोनिशान नहीं था। गांवों में सामाजिक सद्भाव मजबूत था। हर गांव में दो-चार पढ़े लिखे लोग थे वो जो कहते थे उनकी बात लोग मानते थे। वर्तमान राजनीतिक माहौल देखकर दुख होता है। पहले नेता चंदा से चुनाव लड़ते थे। अब तो चुनाव में लाखों-करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जाते हैं। वोट के लिए लोगों को जातियों में बांट दिया गया है। दूबे ने कहा उन्होंने कोई चुनाव नहीं छोड़ा। वो मतदान जरूर करते हैं। मतदान हमारा अधिकार है। हर किसी को मतदान जरूर करना चाहिए।