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लंका दहन का सजीव चित्रण देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

महाराज सुग्रीव की सेना माता सीता की खोज में चारों तरफ रवाना हुई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 06:01 AM (IST)
लंका दहन का सजीव चित्रण देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक
लंका दहन का सजीव चित्रण देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

जासं, दुबौलिया, हर्रैया बस्ती : दुबौलिया क्षेत्र के खुशहालगंज में आदर्श राम लीला कमेटी के तत्वावधान में आयोजित रामलीला के दौरान भगवान श्रीराम व सुग्रीव की मित्रता और लंका दहन का सजीव मंचन हुआ। इसे देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे।

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पंचवटी में रावण ने साधु का भेष धारण कर माता सीता का हरण कर लेता है। उनकी खोज में निकले प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के कुटी में पहुंचकर जूठे बेर खाये। सुग्रीव से मित्रता कर बालि का वध किया। महाराज सुग्रीव की सेना माता सीता की खोज में चारों तरफ रवाना हुई। हनुमान जी समुद्र लांघ कर लंका पहुंचे। यहां माता सीता से मिलने के बाद लंका में आग लगा दिया। संचालक अमर बहादुर सिंह, प्रधान विजय शंकर सिंह, इंद्रनाथ सिंह, राजेंद्र सिंह, जीत बहादुर सिंह, प्रवीण सिंह, अमरपाल सिंह, जनार्दन सिंह, विनोद कुमार, वीरेंद्र पाल सिंह, विनोद यादव, मनोज यादव, लल्लू चौधरी मौजूद रहे। धर्म की राह पर चलने से मिलेगा मोक्ष जागरण संवाददाता, बस्ती : कलवारी क्षेत्र के दुबौली दुबे गांव में आयोजित श्री मद्भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को अयोध्या से पधारे कथा वाचक संत श्याम सारथी ने अमृत वाणी की वर्षा की। उन्होंने गोकरण और धुंधकारी की कथा का श्रवण कराया। मुख्य यजमान पं. सुरेंद्र प्रसाद दुबे ने पूजन-अर्चन किया।

व्यास पीठ से कथा को विस्तार देते हुए श्याम सारथी ने कहा कि धर्म की राह पर चलने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आदर, भाव, सदाचार, संस्कार, भक्ति, आस्था, श्रद्धा को हम अपने जीवन का साथी बनाए। विपदा और संकट कभी नहीं आएगा। प्रभु को प्राप्त करने के लिए हमें माया जाल से बाहर आना होगा। उन्होंने कहा कि गोकरण ज्ञानी होने के साथ धर्मात्मा थे। धुंधकारी दुष्टात्मा था। माता-पिता, वेद, गुरु सभी का अपमान करता था। अकारण ही लोगों को कष्ट पहुंचाता था। इसलिए मरने के बाद वह प्रेत यौनि में पहुंचा। गोकरण धर्म की राह पर चले इसलिए वह देवता बने। माता- पिता से बड़ा संसार में कोई नहीं है। उन्हीं की भक्ति से भगवान भी प्रसन्न होते हैं। अशोक दुबे, अखिलेश दुबे, राकेश दुबे, जगदंबा प्रसाद दुबे, आदित्य मौजूद रहे।


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