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कुशल मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में पनपेगी सहानुभूति की भावना

शिक्षकों के साथ माता-पिता पर भी सहानुभूति निर्माण का जिम्मा

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:55 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:55 AM (IST)
कुशल मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में पनपेगी सहानुभूति की भावना
कुशल मार्गदर्शन से विद्यार्थियों में पनपेगी सहानुभूति की भावना

जागरण संवाददाता, बस्ती : घर हो या स्कूल बच्चों को कुशल मार्गदर्शन की जरूरत हर जगह है। उनके बौद्धिक विकास के लिए अच्छी शिक्षा जितना जरूरी है उतना ही व्यक्तित्व निर्माण में संस्कार, सदाचार, सेवाभाव और दूसरों के प्रति प्रेम भी जरूरी है। परिपूर्ण और परिपक्व व्यक्ति बनने के लिए इन तत्वों का होना भी आवश्यक है। सहानुभूति का निर्माण भी बच्चों में होना चाहिए। यह गुर उन्हें आगे चलकर ख्याति दिलाता है।

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कपिल गंगा पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य अरुण कुमार श्रीवास्तव ने दैनिक जागरण के साथ विचार साझा किए। कहा कि एक शिक्षक का कर्तव्य है कि बच्चों में सहानुभूति की भावना विकसित करें। विद्यार्थी में किशोरावस्था से ही सहानुभूति की भावना विकसित होनी चाहिए। जैसे कक्षा में कोई विद्यार्थी कमजोर वर्ग का है तो सक्षम परिवार से ताल्लुक रखने वाले छात्र उसकी मदद को आगे आएं या किसी के पाठ्यक्रम नोटबुक तैयार नहीं है तो छात्र उसे पूरा कराने में सहयोग करें। छोटी-छोटी बातों से ही यह आदत में शुमार होगा। शिक्षक भी बच्चों के प्रति सहानुभूति रखें। पढ़ाई के साथ उन्हें अन्य दृष्टिकोण से यह अनुभूति कराएं कि उनकी सहानुभूति अपने विद्यार्थी के प्रति हमेशा है। खाली समय में शिक्षक बच्चों के साथ सार्थक वार्ता करें।

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विद्यालय में ऐसे तैयार हुआ माहौल हम यह दावे के साथ कह सकते हैं कि हमारे विद्यालय में सहानुभूति का पूरा वातावरण है। इसके प्रबल पक्षकार विद्यालय के संस्थापक अशोक शुक्ल स्वयं हैं। कमजोर वर्ग के बच्चों को हम अपने यहां दाखिला दिलाते हैं। यदि उनके भीतर प्रतिभा है तो विद्यालय की तरफ से निश्शुल्क शिक्षा की भी व्यवस्था है। हर साल बच्चों के बीच विद्या ज्योति प्रतियोगिता कराई जाती है। इसमें अव्वल विद्यार्थियों को ड्रेस, किताब, कापी के साथ शिक्षा भी मुफ्त मिलती है। जब कोई नेक कार्य होते हैं तो विद्यार्थी इसका अनुकरण करते हैं।

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सामूहिक रूप से बच्चों के करते हैं प्रेरित

विद्यालय में कक्षावार पढ़ाई के अलावा सामूहिक रूप से भी बच्चों में अच्छे संस्कार भरने की परंपरा है। हम सभी शिक्षक आयोजनों में सामूहिक रूप से बच्चों को एक दूसरे की मदद करने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे उनमें सहानुभूति का निर्माण अपने आप होता है।

-अरुण कुमार श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य कपिल गंगा पब्लिक स्कूल


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