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55 केंद्रों पर आज से होगी परीक्षा

बस्ती : महाविद्यालयी परीक्षा 14 मार्च से जनपद में शुरू हो जाएगी। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के अधीन होने वाल

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 10:36 PM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 10:36 PM (IST)
55 केंद्रों पर आज से होगी परीक्षा
55 केंद्रों पर आज से होगी परीक्षा

बस्ती : महाविद्यालयी परीक्षा 14 मार्च से जनपद में शुरू हो जाएगी। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के अधीन होने वाली इस परीक्षा में स्नातक और परास्नातक के पंजीकृत 41441 विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होना है। इसके लिए संचालित 65 महाविद्यालय में से 55 को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। विश्वविद्यालय ने प्रश्न पत्र के लिए इस बार शहर के एपीएन पीजी कालेज को नोडल केंद्र बनाया है। यहां से सभी केंद्रों के लिए प्रश्न पत्रों का वितरण होगा। महाविद्यालय के प्राचार्य डा. मो. असलम सिद्दीकी प्रभारी बनाए गए हैं। जबकि उत्तर पुस्तिकाओं को जमा करने के लिए नोडल केंद्र शिवहर्ष किसान महाविद्यालय है। इसके प्रभारी डा. शिवेंद्र मोहन पांडेय हैं। इनकी देखरेख में सभी केंद्रों की उत्तर पुस्तिकाएं जमा होनी है। प्रथम पाली की परीक्षा सुबह 8 बजे शुरू हो जाएगी। यह 11 बजे तक चलेगी। दूसरी पाली की परीक्षा दिन में 2 से 5 बजे तक चलेगी। यह परीक्षा भी सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में कराना अनिवार्य है।

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जिले में सिर्फ दो सचल दल करेंगे निगरानी

परीक्षा की निगरानी के लिए विश्वविद्यालय की ओर सिर्फ दो सचल दल गठित किए गए हैं। यह टीम परीक्षा की सुचिता बनाए रखने के लिए नाकाफी है। लगभग 50 किमी की परिधि वाले जिले के सभी 55 केंद्रों पर रोज निगरानी रख पाना इन टीमों के लिए कठिन होगा। प्रत्येक सचल दल पांच सदस्यीय होगा। डा. जेपी पांडेय और डा. स्मिता ¨सह अलग-अलग सचल दल की अगुवाई करेंगी।

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केंद्रों के निर्धारण में हुआ है हेरफेर

इस बार परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में फिर हेरफेर हो गया है। कुछ ऐसे महाविद्यालय परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं जहां आवंटित छात्र उसी प्रबंधन समिति से जुड़े अन्य महाविद्यालय के हैं। यानी एक ही प्रबंधन के एक महाविद्यालय के छात्र उसी के दूसरे महाविद्यालय पर परीक्षा देंगे। अंतर इतना है कि महाविद्यालय का नाम दूसरा होगा। प्रबंध समिति एक दूसरे की नजदीकी है। इसके अलावा केंद्राध्यक्ष की नियुक्ति में भी इसी तरह का खेल किया गया है। नियमावली के मुताबिक केंद्राध्यक्ष वही बन सकते हैं जिनके पास तीन वर्ष तक के शिक्षण कार्य का अनुभव किसी महाविद्यालय से हो और इससे जुड़े प्रमाण जमा होने चाहिए। मगर कुछ लोग इस मानक को पूरा किए बगैर रसूख के बल पर केंद्राध्यक्ष बन गए हैं। जिससे परीक्षा की सुचिता पर अभी से सवाल उठने लगा है।


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