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World Television Day 2021 : कोरोना काल में बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बना बुद्धू बक्सा

World Television Day 2021 टेलीविजन की दुनिया आज के दौर में आम लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। कभी बुद्धू बक्सा रहा टेलीविजन अब हाईटेक मोबाइल की तरह काम कर रहा है। कोरोना काल से स्मार्ट एलईडी टीवी की खूब बिक्री हो रही है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 01:55 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 01:55 PM (IST)
World Television Day 2021 : कोरोना काल में बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बना बुद्धू बक्सा
World Television Day 2021 : कोरोना काल में बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बना बुद्धू बक्सा

बरेली, जेएनएन। World Television Day 2021 : टेलीविजन की दुनिया आज के दौर में आम लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। कभी बुद्धू बक्सा रहा टेलीविजन अब हाईटेक मोबाइल की तरह काम कर रहा है। इस वजह से कोरोना काल से स्मार्ट एलईडी टीवी की खूब बिक्री हो रही है। ज्यादातर बच्चे लैपटाप और मोबाइल को छोड़कर 53 इंच और 55 इंच की स्मार्ट एलईडी पर आनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इससे बच्चों की आंखों पर दबाव भी नहीं पड़ता और आसानी से क्लास पूरे कर लेते हैं। अगर बरेली शहर की बात करे तो हर दो महीने में ही 12 हजार से अधिक एलसीडी बिक जाते हैं। त्योहारों के समय एक दिन में ही हजारों की संख्या में टीवी बिक जाते हैं।

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टेलीविजन जहां लोगों को स्मार्ट और बुद्धिमान बना रहा है। वहीं इसके आकार और टेक्नोलाजी में निरंतर बदलाव आ रहा है। पहले जहां एक बक्से की तरह टीवी हुआ करता था, वह अब बड़े लैपटाप के आकार में आ चुका है। बदलते जमाने के अनुसार इसके फीचर और तकनीक में कई अमूल चूक परिवर्तन हो चुके हैं। बुद्धू बक्सा वाला टीवी वर्तमान में स्मार्ट एलसीडी बन गया है। जिसमें आधुनिक मोबाइल के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं। इस वजह से आम तौर लोग इसे मोबाइल से कनेक्ट करके अपने ज्यादातर काम इसी से करते हैं। टेक्नोलाजी के हिसाब से स्मार्ट टीवी चलने में माेबाइल से बेहतर रिस्पांस देने लगे हैं। इस वजह से लोगों कोरोना काल से स्मार्ट टीवी की ओर तेजी से बढ़ा है। शहर के प्रमुख टीवी व्यवसायी हरीश अरोड़ा का कहना है कि बक्से वाले टीवी का जमाना चला गया है। अब लोग बड़े स्क्रीन वाले स्मार्ट टीवी अधिक खरीद रहे हैं।

परिवारों में हो रही आपसी सौहार्द की कमी

आधुनिकता के दौर में स्मार्ट टीवी लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनता जा रहा है। समाज में इसके दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ने लगे हैं। अवंतीबाई राजकीय महिला महाविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर डॉ. रंजू राठौर का कहना है कि पहले जहां परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर टीवी देखा करते थे, वहीं अब एक घर कई टीवी लग गए हैं। इससे परिवारों में आपसी प्रेमभाव की कमी भी आई है। समाज में इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है। बच्चे अब अधिक टीवी देखने लगे हैं, जिस वजह से उनमें नकारात्मकता बढ़ती जा रही है। डा. रंजू का कहना है कि ऐसी स्थितियों से बचने के लिए परिवार के सदस्यों के एक साथ बच्चों को एक साथ बैठकर टीवी देखने की आदत डालनी चाहिए।

कुर्सी या बेड पर बैठकर चलाइए टीवी

वर्तमान समय में स्मार्ट टीवी पर कई एप्लीकेशंस पहले से ही लोड होकर आ रहीं हैं। इसके अलावा आप इनमें एप स्टोर के जरिए मन पसंद एप्लीकेशन लोड कर सकते हैं। कुछ स्मार्ट टीवी से तो नेटफ्लिक्स, अमेजन पर लाइव टीवी, फिल्म आसानी से देखी जा सकती हैं। इन पर इंटरनेट सर्फ कर सकते हैं। इन्हें बेड या फिर कुर्सी पर बैठकर देखने के साथ ही शेयर कर सकते हैं।

- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1996 में दी थी टेलीविजन डे को स्वीकृति

- भारत में 15 सितंबर 1959 में आया था टीवी

- अमृतसर और मुम्बई के लिए 1972 में शुरू हुई टेली सेवाएं

- देश में राष्ट्रीय प्रसारण की शुरुआत 1982 में हुई


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