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World Mental Health Day : काेराेना की दूसरी लहर निकलने के बाद भी सता रहा माैत का डर, नहीं उबर पा रहे लाेग

World Mental Health Day कोरोना संक्रमण... एक ऐसा नाम आम लोगों के लिए अचानक सामने आया और पिछले डेढ़ साल में जिंदगी के मायने ही बदल दिए। पहली लहर से लोग उबरने की जिद्दोजहद कर ही रहे थे कि दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की किल्लत।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 10:58 AM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 10:58 AM (IST)
World Mental Health Day : काेराेना की दूसरी लहर निकलने के बाद भी सता रहा माैत का डर, नहीं उबर पा रहे लाेग
World Mental Health Day : काेराेना की दूसरी लहर निकलने के बाद भी सता रहा माैत का डर

बरेली, जेएनएन। World Mental Health Day : कोरोना संक्रमण... एक ऐसा नाम आम लोगों के लिए अचानक सामने आया और पिछले डेढ़ साल में जिंदगी के मायने ही बदल दिए। पहली लहर से लोग उबरने की जिद्दोजहद कर ही रहे थे कि दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की किल्लत, अपनों समेत अनगिनत लोगों की मौत ने दिलो-दिमाग को ऐसा झटका दिया कि इसका असर मानसिक तनाव में बदल गया। शायद यही वजह रही कि पिछले साल जिला अस्पताल में बने मनकक्ष में कुल 6,438 मनोरोगी इलाज के लिए पहुंचे थे। वहीं, इस बार अक्टूबर तक ही 7,141 मनोरोगी इलाज के लिए पहुंच चुके हैं। यानी कोविड काल में मनोरोगियों की संख्या बढ़ी है। इनमें भी सबसे ज्यादा प्रभावित 25 से 45 आयु वर्ग के लोग रहे हैं।

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अधिकांश असामान्य दुख के हुए शिकार

मन कक्ष में इस साल जून से अब तक कई ऐसे केस आए जिसमें लोग ग्रीफ एब्नार्मलिटी यानी असामान्य रूप से दुख के शिकार हैं। मन कक्ष प्रभारी डा. आशीष बताते हैं कि इस बीमारी में किसी अप्रिय घटना के चलते लोग बदहवास हो जाते हैं। इन्हें सदमा कुछ ऐसा लगता है कि लोगों को पहचानता नहीं या जो लोग मर चुके हैं उन्हें ऐसा लगता है कि वो लोग अब भी जिंदा है, उनसे बात करने लगता है। ऐसे मामलों में अगर समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

मार्च में कोविड संक्रमित पहला केस जिले में मिला था, इसके बाद शासन ने तीन माह का लाकडाउन लागू कर दिया था। लेकिन अनलाक के बाद जब जिला अस्पताल में बने मन कक्ष की ओपीडी शुरु हुई थी, इनमें सबसे अधिक मामले एन्जाइटी के सामने आए थे। एन्जाइटी यानी अवसाद ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज का मन एकाग्र नहीं रहता है और बहकी-बहकी बातें करता है।

केस 1

अप्रैल माह में कोविड की दूसरी लहर ने दस्तक दी। बरेली के राजेंद्र नगर निवासी एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला के दोनों बेटे कोविड संक्रमित हुए इलाज के दौरान ही दोनों बेटों की मौत हो गई। इससे मां सदमे में चली गई, उन्होंने परिवार के सदस्यों से बात करना बंद कर दिया। एक माह तक जब किसी से बात नहीं की तो एक रिश्तेदार ने मन कक्ष में संपर्क किया। महिला की काउंसिलिंग की गई तो वह मानसिक तनाव का शिकार मिली। पिछले तीन महीने से वृद्धा का इलाज व काउंसिलिंग चल रही है।

केस 2

बीते अगस्त माह में मन कक्ष में शहर के सुभाष नगर निवासी 35 वर्षीय युवक मन-कक्ष की ओपीडी में आया। युवक के स्वजन ने डाक्टर को बताया कि युवक कोरोना संक्रमित हुआ था, ठीक होने के बाद से ही परिवार के सदस्यों से बात करने से बचता है। अधिकांश समय एकांत में गुमसुम बैठा रहता है। डाक्टर ने जब युवक की काउंसिलिंग की तो पता चला कि वह मानसिक अवसाद में है। युवक के जेहन में अब भी कोविड से मौत का डर है।

पिछले साल की तुलना में मानसिक समस्याओं से संबंधित 20 फीसद मरीज बढ़े हैं। पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के बाद के मानसिक तनाव या अन्य मनोरोग के केस ज्यादा गंभीर हैं। इनमें ग्रीफ एब्नार्मलिटी के मरीजों की संख्या अधिक मिली है। डा. आशीष, प्रभारी, मन कक्ष


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