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पीलीभीत टाइगर रिजर्व में विदेशी दुर्लभ पक्षियों का भी बसेरा, जानें मेहमान पक्षियों के बारे में

World Bird Day 2021 तराई का जिला पीलीभीत देश-दुनिया में बाघों के कारण जाना जाता है लेकिन टाइगर रिजर्व के जंगल में विभिन्न प्रजातियों के तमाम पक्षियों की भी बसेरा है। इनमें कई पक्षी दुर्लभ प्रजाति के हैं। जंगल का वातावरण विभिन्न पक्षियों के लिए भी अनुकूल है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 09:48 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 09:48 PM (IST)
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में विदेशी दुर्लभ पक्षियों का भी बसेरा, जानें मेहमान पक्षियों के बारे में
Pilibhit Tiger Reserve News : बंगाल फ्लोरिकन, कठफोड़ा, दलदली तीतर जैसी दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की भी उपस्थिति

बरेली, जेएनएन। World Bird Day 2021 : तराई का जिला पीलीभीत देश-दुनिया में बाघों के कारण जाना जाता है लेकिन, टाइगर रिजर्व के जंगल में विभिन्न प्रजातियों के तमाम पक्षियों की भी बसेरा है। इनमें कई पक्षी दुर्लभ प्रजाति के हैं। जंगल का वातावरण विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए भी अनुकूल है। जंगल के बीच स्थित शारदा सागर जलाशय में हर साल सर्दियों के मौसम में मेहमान साइबेरियन पक्षियों का कुनबा आ जाता है। इस समय मेहमान पक्षियों की संख्या 20 हजार से ऊपर हो गई है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से ही इन मेहमान परिंदों का आना शुरू हो जाता है।

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मार्च में ये पक्षी वापस लौटने लगते हैं। कई साल पहले बंगाल फ्लोरिकन चिड़िया दिखी थी। बाद में समय समय पर बंगाल फ्लोरिकन प्रजाति की कई चिड़ियां देखी गईं। यह चिड़िया दुर्लभ प्रजाति की मानी जाती है। इनके अलावा दुर्लभ प्रजाति का कठफोड़ा और दलदली तीतर जैसे पक्षी भी जंगल में अक्सर लोगों को दिख जाते हैं। गिद्धों की प्रजाति लुप्त होने लगी थी लेकिन कई साल पहले टाइगर रिजर्व के जंगल में कई गिद्ध देखे गए।

वर्तमान में यहां कई प्रजातियों के गिद्ध देखे गए। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से गिद्ध का अस्तित्व आवश्यक माना जाता है।इन्हें प्रकृति का सफाई कर्मचारी भी कहा जाता है।दरअसल यहां का जंगल विविधता पूर्ण होने के कारण हर तरह के पक्षियों के लिए अनुकूल है। राज्य पक्षी सारस भी काफी अधिक संख्या में नजर आते हैं। ये पक्षी जंगल में हर समय नहीं दिखते बल्कि जनवरी और फरवरी के महीनों में जब अच्छी धूप निकलने लगती है तो पानी के आसपास इन्हें आसानी से देखा जा सकता है।

जलाशय में इंसानी दखल बढ़ने से कम हो रहीं पक्षियों की संख्याः वन्यजीवन पर पिछले बीस साल से अध्ययन करने वाले टरक्वाइज सोसायटी के अध्यक्ष अख्तर मियां कहते हैं कि शारदा सागर जलाशय में इंसानी दखल बढ़ने की वजह से मेहमान पक्षियों की संख्या पहले से काफी कम हो गई है। जंगल में हर तरह का हैवीटेट उपलब्ध होने की वजह से चिड़ियों का संसार फल फूल रहा है। यहां चिड़ियों की कई दुर्लभ प्रजातियों का भी वास है।


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