550 वॉ प्रकाश पर्व : जहां गुरुनानक ठहरे वहां गुरुद्वारे बन गए, जानिए बरेली में कहां ठहरे थे गुरुनानक Bareilly News
संवत 1554 (सन् 1497) में वह बरेली-उत्तराखंड बॉर्डर पर कुछ दिन रुके थे। वे जहां ठहरे उन स्थानों पर गुरुद्वारे बना दिए गए। इनमें से गुरुद्वारा नानकपुरी भी है।
जेएनएन, बरेली : गुरुनानक देव के संस्मरण से अपना जिला भी जुड़ा है। संवत 1554 (सन् 1497) में वह बरेली-उत्तराखंड बॉर्डर पर कुछ दिन रुके थे। जहां-जहां वह ठहरे, उन सभी पांच स्थानों पर गुरुद्वारे बना दिए गए। इनमें से एक बड़ा गुरुद्वारा है, जिसे नानकपुरी के नाम से जाना जाता है।
गुरुद्वारा नानक पुरी के कथा वाचक ज्ञानी हरदीप सिंह इनका जिक्र करते हैं। बोले, संवत 1554 में गुरुनानक देव यहां आए थे। उस वक्त छंगाटांडा क्षेत्र में जंगल हुआ करता था। इस क्षेत्र में रुहेला पठान की रियासत थी। गुरु नानकदेव को पता चला कि यहां गुलामी प्रथा बढ़ रही थी। गरीबों पर अत्याचार किया जा रहा है। इस पर उन्होंने रुहेला पठान को दया और सद्भाव की सीख दी। रुहेला उनसे प्रभावित हुए थे, उनकी सीख को माना।
आधा क्षेत्र उप्र में, आधा उत्तराखंड में
जिस क्षेत्र में गुरुनानक देव आए, वह बाद में विकसित होता गया। जिस स्थान पर उनका डेरा रहा, बाद में वहां गुरुद्वारा बना दिया जिसे नाम दिया गया नानकपुरी। इसके अलावा जिन अन्य जगहों पर वह रुके, वहां भी छोटे गुरुद्वारे बना दिए गए। जहां से पानी भरते थे, उस जगह पर गुरुद्वारा घाट साहेब बनाया गया। जिस बाग में ठहरते थे, उस जगह पर गुरु का बाग गुरुद्वारा बना है। जहां बैठकर चक्की चलाते थे, वहां गुरुद्वारा चक्की साहेब और जिस जगह पर भेड़-बकरी चराई थीं वहां भी एक गुरुद्वारा बनवाया गया है।