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Coronavirus : ब‍िना दूल्हा पहुंची बरात, मॉर‍ीशस की कंपनी में आ‍र्किटेक्ट ने किया ऑनलाइन निकाह

निकाह की तारीख आ गई लेकिन मॉरीशस से फ्लाइट नहीं मिल सकी। मजबूरन वीडियो कॉल कर दोनों के बीच निकाह पढ़वाया गया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 09:53 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 09:58 PM (IST)
Coronavirus : ब‍िना दूल्हा पहुंची बरात, मॉर‍ीशस की कंपनी में आ‍र्किटेक्ट ने किया ऑनलाइन निकाह
Coronavirus : ब‍िना दूल्हा पहुंची बरात, मॉर‍ीशस की कंपनी में आ‍र्किटेक्ट ने किया ऑनलाइन निकाह

शाहजहांपुर, जेएनएन : कोरोना संक्रमण को लेकर एहतियात बरती जा रही। लोग एक से दूसरे शहर या विदेश जाने से बच रहे। इसी कवायद के बीच एक नया मामला सामने आया। कस्बे में रहने वाली युवती का निकाह मॉरीशस में नौकरी करने वाले युवक से तय हुआ था। निकाह की तारीख आ गई लेकिन मॉरीशस से फ्लाइट नहीं मिल सकी। मजबूरन वीडियो कॉल कर दोनों के बीच निकाह पढ़वाया गया। बाकी रस्में दूल्हा के आने के बाद पूरी होंगी।

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शाहजहांपुर के मुहल्ला अंटा निवासी सेवानिवृत्त वसी खां के बेटे तौसीफ मॉरीशस की एक कंपनी में आर्किटेक्ट हैं। उनका निकाह कस्बे में ओवरहेड टैंक के पास स्थित मुहल्ले में रहने वाले व्यवसायी नसीम की बेटी परवीन से तय हुआ था। 19 मार्च को बरात जानी थी। 15 मार्च को तौसीफ को मॉरीशस से भारत आने के लिए फ्लाइट पकडऩी थी, लेकिन एक दिन पहले कोरोना के कारण उड़ान रद कर दी गईं। काफी प्रयास के बाद भी तौसीफ नहीं आ सके।

बंट चुके थे कार्ड, नहीं टाली निकाह की तारीख

कार्ड बंट चुके थे, तैयारियां पूरी हो गई थीं। ऐसे में वसी खां व नसीम ने रिश्तेदारों के साथ आपस में बात की। दोनों ओर से काफी खर्च हो चुका था। ऐसे में धर्मगुरुओं की राय ली गई। निर्णय लिया गया कि वीडियो कॉल से ऑनलाइन निकाह पढ़ाया जाएगा। जिसके बाद गुरुवार दोपहर बाद वसी खां बरात लेकर निगोही पहुंचे। सभी की आवभगत हुई। काजी तस्लीम रजा नूरी ने निकाह पढ़वाया। तौसीफ की ओर से आबिद हसन वकील व मो. सईद खां गवाह बने। जबकि दुल्हन की ओर से चंदा खां गवाह थे।

दूल्हे का रहेगा इंतजार

परवीन सुल्ताना परास्नातक हैं। जब परिजनों ने ऑनलाइन निकाह के लिए कहा तो वह राजी हो गईं। बोलीं कि तौसीफ होते तो खुशी कुछ और होती, लेकिन उनके आने को इंतजार रहेगा। उसके बाद ही विदा होकर ससुराल जाऊंगी।

इस तरह की परिस्थितियों में ऑनलाइन शादी मान्य है। अगर परिवार वाले चाहें तो दूल्हे के आने पर दोबारा निकाह पढ़वा सकते हैं। अब विदाई रह गई है। जो दूल्हे के आने के बाद हेागी। - तस्लीम रजा नूरी, काजी

हमें बेटे के निकाह खुशी तब होगी जब वह यहां आ जाएगा और सभी रस्में पूरी होंगी। तय दिन पर निकाह पढ़ाया गया। लड़की वालों को भी एतराज नहीं था। मेहमान भी खुश हैं। - वसी खां, दूल्हे के पिता

तौसीफ के परिजनों ने आपसी सहमति पर निर्णय लिया था। बेटी का निकाह हो गया है। इसकी हमें खुशी है। दूल्हे के आने पर अन्य रस्में पूरी कर उसकी विदाई करेंगे। - नसीम, दुल्हन के पिता 


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