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Weather Update : फसलों पर 34.2 मिमी बरसा अमृत, पौधों को भी मिली संजीवनी

सावन के पहले दिन छाए बादल फसलों पर अमृत बन बरसे। पौधों के लिए भी झमाझम बारिश संजीवनी साबित हुई। इससे अन्नदाताओं व पर्यावरण संरक्षकों के चेहरे खिल गए।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 10:20 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 01:56 PM (IST)
Weather Update : फसलों पर 34.2 मिमी बरसा अमृत, पौधों को भी मिली संजीवनी

शाहजहांपुर, जेएनएन।  सावन के पहले दिन छाए बादल फसलों पर अमृत बन बरसे। पौधों के लिए भी झमाझम बारिश संजीवनी साबित हुई। इससे अन्नदाताओं व पर्यावरण संरक्षकों के चेहरे खिल गए। 34.2 मिमी बारिश के साथ ही तापमान में 1.6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट से मौसम खुशगवार हो गया। गांवों किसानों ने धान की रोपाई का काम तेज कर दिया है। सुबह वायुदाब में 22 मिलीबार की वुद्धि को देख मौसम विज्ञानियों ने अभी और बारिश की अच्छी खबर दी है।

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आसमान पर कई दिनों से बादल बारिश को मचल रहे थे। मौसम विज्ञानी भी हलचल देख पूर्वानुमान में बारिश की संभावना जता रहे थे। एक सप्ताह के भीतर तीन बार उनकी भविष्यवाणी गलत साबित हुई। बादल नमी बढ़ाकर बिन बरसे ही चले गए। सोमवार को भी मौसम विज्ञानियों ने अच्छी बारिश के संभावना जताई, जो सच साबित हुई। मंगलवार के आते ही किसानों का मंगल हो गया।

आधी रात बाद शुरू हुई बारिश से फसलों की प्यास बुझ गई। बिन पानी कुम्हला रहे जिले में नवरोपित 43.5 लाख पौधे बारिश की संजीवनी से पेड़ बनने की आस में मुस्करा उठे। बारिश से अन्नदाताओं के चेहरों पर चमक आ गई है। वन विभाग समेत पौधारोपण करने वाले विभागीय प्रमुखों की भी पौधों को बचाने की बेचैनी दूर हो गई है।

जनपद में इस वर्ष 2.60 लाख हेक्टेयर में धान समेत करीब 3.90 लाख हेक्टेयर में विविध फसलें बोयी गई हैं। धान की रोपाई अभी चल रही है। बारिश से किसानों का करोड़ों का सिचाई खर्च और अरबों लीटर भुगर्भीय जल बच गया है।-सतीश चंद्र पाठक, जिला कृषि अधिकारी

पौधोरापण अभियान में लगाए गए 43.5 लाख पौधों को बचाने की चुनाती है। बारिश न होने से सभी पौधों को बचा पानी मुश्किल था। बारिश से पौधों की संजीवनी मिली है, सिंचाई का तनाव भी दूर हो गया। -डा. आदर्श कुमार, डीएफओ

बारिश से कीट प्रकोप भी दूर होगा। गन्ना में इन दिनों टॉप बोरर लग जाता है। धान समेत दलहनी फसले कीट रोग की चपेट में आ जाती है। बारिश से फसलों पर कीट प्रकोप कम हो जाएगा। -डा. शिव शंकर गौतम, जिला कृषि रक्षा अधिकारी

जिले में इस वर्ष 98 हजार हेक्टेयर में गन्ना खेती की गई है। इन दिनों गन्ना फसल को सिचाई की बेहद जरूरत होती है। बारिश से गन्ना तथा साथ में बोयी गई सहफसली खेती को भी फायदा हुआ है। इससे किसानों काे आर्थिक रूप से बड़ा फायदा हुआ है।-डा. खुशीराम, जिला गन्ना अधिकारी

जनवरी से अब तक 279 मिमी बारिश

इस वर्ष अच्छी बारिश के संकेत है। जनवरी से अब तक 279 मिमी बारिश हो चुकी है। जून व जुलाई की बारिश का आंकड़ा 115 मिमी पर पहुंच गया है। हालांकि जून में मात्र 30 मिमी ही बारिश हुई है। जुलाई में अब तक 85 मिमी बारिश हो चुकी है। उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के मौसम विज्ञानी डा. मनमोहन सिंह ने 13 जुलाई तक अच्छी बारिश की संभावना जताई है। उन्होंने गत पांच वर्षों से भी बेहतर बारिश की उम्मीद जताई है।

पांच वर्ष के भीतर जून, जुलाई तथा जनवरी से जुलाई तक कुल बारिश (मिलीमीटर में) पर एक नजर

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वर्ष : जून - जुलाई - जनवरी से जुलाई तक

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2016 : 50 - 462 - 561

2017 : 69 - 170 - 317

2018 : 67 - 613 - 694

2019 : 53 - 485 - 585

2020 : 30 - 85 सात जुलाई तक 


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