Water Conservation : शाहजहांपुर में रसातल में जा रहा भूजल, जल को तरस रहे नल
Water Conservation शाहजहांपुर में भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन का दंश अब पेयजल संकट के रूप में सामने आने लगा है। कलान तहसील में पांच सालों के भीतर दो मीटर भूगर्भ जल स्तर गिर गया। वर्तमान में स्थिति यह है।
बरेली, जेएनएन। Water Conservation News : शाहजहांपुर में भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन का दंश अब पेयजल संकट के रूप में सामने आने लगा है। कलान तहसील में पांच सालों के भीतर दो मीटर भूगर्भ जल स्तर गिर गया। वर्तमान में स्थिति यह है कि मिर्जापुर कस्बे के आधे से ज्यादा नलों ने पानी देना बंद कर दिया है। नतीजतन लोग सब मर्सिबल व इंडिया मार्का हैंडपंप से पेयजल की मदद को मजबूर है। दो दशक पूर्व गांव के लिए स्वीकृत स्वजलधारा परियोजना के तहत भी गांव को पानी नहीं मिल सका। योजना के तहत लगा आेवरहेड टैंक बदहाली व भ्रष्टाचार का प्रतीक बना हुआ है।
मिर्जापुर गांव की करीब पांच हजार आबादी है। यहां तीन हजार मतदाता है। गांव के करीब 300 घरों में सब मर्सिबल लगे है। सौ के करीब इडिया मार्का हैंड है। इनमें करीब बीस फीसद खराब है। बाकी करीब 1500 घरों में छोटे नल लगे है। सुबह व शाम सब मर्सिबल चलने की वजह से अब छोटे नलों ने पानी देना बंद कर दिया है। इससे गांव की आधी से ज्यादा आबादी परेशान है। पानी के लिए लोगों को सब मर्सिबल पर निर्भर होना पड़ रहा है।
दशक पूर्व भी डार्क जोन में था क्षेत्र
कलान तथा मिर्जापुर में गंगा, रामगंगा, बहगुल नदी प्रवाहित है। गर्मियों में भूगर्भ जल से नदियां रिचार्ज होती है। इस कारण क्षेत्र का जलस्तर गिर जाता है। दशक पूर्व जलस्तर 35 फीट से नीचे पहुंच गया। गिरावट की गति भी तीव्र थी। प्रशासन ने क्षेत्र में बोरिंग आदि पर प्रतिंबंध लगा दिया था। बाढ़ के बाद क्षेत्र का जलस्तर सुधरा। अब फिर से क्षेत्र में फिर से संकट छा गया है। गत वर्ष क्षेत्र में करीब 20 फीट के करीब था। जो अब रसातल की ओर चल पड़ा है।
25 से 40 फीट तक है क्षेत्र का जलस्तर
जनपद के जलस्तर में डेढ़ दशक के दौरान तेजी से गिरावट आयी। वर्तमान में कटरी में जलस्तर 25 से 30 फीट के करीब है। जबकि पुवायां का जलस्तर 30 से 40 फीट तक पहुंच गया है। लघु सिंचाई विभगा तथ नलकूप विभाग प्रतिवर्ष सिंचाई का आंकड़ा जुटाकर उसी के अनुरूप बोरिंग भी करता है।
जनपद का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। हालांकि अभी सुरक्षित श्रेणी मैं। जलस्तर और न गिरे इसके लिए तालाब खुदवाए जा रहे है। वर्षा जल संचयन पर जोर दिया जा रहा है। नय्यर आलम, सहायक अभियंत लधु सिचाई विभाग