जानिए कहां लगी है नदी के बीच टापू पर 104 फुट ऊंची हनुमान प्रतिमा Shahjahanpur News
शहर के विसरात घाट पर खन्नौत नदी के बीच टापू पर स्थापित हनुमान प्रतिमा आसपास के जिलों में सबसे दर्शनीय स्थलों में से एक है। यहां पर रोज शाम को बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
अंबुज मिश्र, शाहजहांपुर : काकोरी कांड के नायकों की सरजमीं शाहजहांपुर..। वैसे तो यहां तमाम ऐसे ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल हैं जो पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से सबसे खास है हनुमत धाम..। प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची में भी इसे शामिल किया गया है। यहां देश की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमाओं में से एक स्थापित है जो करीब 104 फुट ऊंची है।
शहर के विसरात घाट पर खन्नौत नदी के बीच टापू पर स्थापित हनुमान प्रतिमा आसपास के जिलों में सबसे दर्शनीय स्थलों में से एक है। यहां पर रोज शाम को बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चारों ओर नदी से घिरा होने के कारण यहां शाम का दृश्य काफी मनोरम होता है। टापू पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा के आगे बड़ा फव्वारा लगाया गया है। रात में जब रंग-बिरंगी लाइटों से पूरा स्थान जगमग होता है तो हर कोई इसे बरबस देखता रह जाता है। यहां का शांत वातावरण हर किसी का मनमोह लेता है। वीकेंड पर आसपास के जिलों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। हनुमान जयंती पर तो यहां पैर रखने की जगह नहीं होती।
अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं
जिस टापू पर हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति स्थित है। उसके नीचे गुफा बनाई गई है। वहां पर पूजा करने के लिए हनुमान जी एक अन्य छोटी प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अलावा गुफा में भगवान गणेश, सूर्य देवता, शिवलिंग इसके अलावा गुफा के चारों मां सरस्वती व मां दुर्गा आदि की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
आ चुकी है कई बड़ी हस्तियां
इस प्रतिमा को राजस्थान के मूर्तिकार वीरेंद्र कुमार के साथ 11 मूर्तिकारों ने बनाया है। इसके दर्शन करने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर कई केंद्रीय मंत्री व बड़ी हस्तियां आ चुकी हैं। जिनमें उमा भारती, साध्वी निरंजन ज्योति, महेश शर्मा आदि शामिल हैं।
ऐसे पहुंचें
- लखनऊ-दिल्ली मार्ग पर स्थित है शाहजहांपुर
- ट्रेन या बस के सीधे यहां पहुंचा जा सकता है
- स्टेशन व बस अड्डे से सीधे पहुंच सकते हैं
- मंगलवार व शनिवार को होती है विशेष सजावट
खासियत
- 104 फुट है हनुमान प्रतिमा की ऊंचाई
- 125 फुट है टापू सहित इसकी कुल ऊंचाई
- चार मई 2003 को शुरू हुआ था निर्माण कार्य
- 10 वर्ष से ज्यादा समय में पूरा हुआ था काम