प्रचार के लिए प्रत्याशियों को वर्चुअल रैली भी नहीं पड़ेगी सस्ती, जानिए किस दर से खर्च जोड़ेगा चुनाव आयोग
प्रत्याशी भी एक गाड़ी से ही घूम रहे हैं कोई लंबा काफिला नहीं है। ऐसे में वर्चुअल रैली और इंटरनेट का महत्व बढ़ गया है। लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर भी शिकंजा कसा हुआ है। चुनाव के दौरान होने वाली हर वर्चुअल रैली पर नजर रहेगी।
बरेली, जेएनएन। काेरोना संक्रमण के चलते चुनाव आयोग ने जनसभाओं और रैलियों पर रोक लगा दी। इसके बाद विधानसभा चुनाव का स्वरूप ही पूरी तरह बदला बदला नजर आ रहा है। शोर न शराबा, रैली न जनसभा। बस घर घर वोट मांगे जा रहे हैं। प्रत्याशी भी एक गाड़ी से ही घूम रहे हैं कोई लंबा काफिला नहीं है। ऐसे में वर्चुअल रैली और इंटरनेट का महत्व बढ़ गया है। लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर भी शिकंजा कसा हुआ है। चुनाव के दौरान होने वाली हर वर्चुअल रैली पर नजर रहेगी और इसका खर्च चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा।
चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार अगर कोई प्रत्याशी चुनाव में वर्चुअल रैली करता है ताे उसे सबसे पहले इसके लिए परमीशन लेनी होगी। सभी अनुमति आनलाइन ही ली जाएंगी। चुनाव आयोग की ओर से जारी गाइड लाइन में वर्चुअल रैली के लिए भी खर्च तय किया गया है। प्रत्याशियों के खर्च की निगरानी के लिए बनी टीमें उनकी हर वर्चुअल रैली पर नजर रखेंगी। इसके लिए बीएसएनएल की दरों के हिसाब से नेट का खर्च जोड़ा जाएगा। जिस स्थान पर रैली होगी उसका किराया और कंप्यूटर व अन्य छोटी छोटी जरूरत की चीजों का खर्च भी चुनाव खर्च में ही शामिल करना होागा।
मास्क से प्रचार किया तो खर्च में जुड़ेंगे दस रुपये: कोरोना संक्रमण के चलते इन दिनों हर कोई मास्क का उपयोग कर रहा है। कोविड गाइड लाइन का पालन भी चुनाव में करना होगा। ऐसे में अगर कोई प्रत्याशी मास्क के जरिए अपना प्रचार कराता है तो उसका खर्च भी जोड़ा जाएगा। चुनाव आयोग ने प्रचार छपे हुए एक मास्क की कीमत दस रुपये लगाई है। इसके अलावा सैनिटाइजर का खर्च भी बाजार दरों के हिसाब से देना होगा।