आलू 'उबला', टमाटर 'लाल'.. रसोई का बुरा हाल
आलू और टमाटर के दाम रसोई का बजट बिगाड़ने के लिए काफी हैं। कुछ दिनों पहले तक आठ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाला टमाटर के दाम सोमवार को थोक बाजार में 50 रुपये और फुटकर बाजार में
बरेली, जेएनएन : बरसात में जहां मौसम का मिजाज ठंडा होता है। वहीं, सब्जियों के तेवर गर्म हो गए हैं। खासकर आलू और टमाटर के दाम रसोई का बजट बिगाड़ने के लिए काफी हैं। कुछ दिनों पहले तक आठ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकने वाला टमाटर के दाम सोमवार को थोक बाजार में 50 रुपये और फुटकर बाजार में 80 रुपये तक लगे। वहीं, पहाड़ी आलू 30 रुपये और नया 35 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से ग्राहकों ने खरीदा। आढ़तियों के मुताबिक स्थानीय आवक समाप्त होने के कारण सब्जियां महंगी हुई हैं।
महीने भर रह सकती दिक्कत
जिले में इस समय बेंगलुरू से टमाटर आ रहा है। आसपास से आपूर्ति शुरू होने में करीब एक महीना लग सकता है। आढ़तियों का कहना है कि हाल-फिलहाल सब्जियों के दाम कम होना मुश्किल हैं। एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि तय दुकान पर महज एक से दो रुपये मुनाफे में सब्जी बेची जाती है। जबकि फेरी वाले इलाका देखकर सब्जियों का रेट तय करते हैं। मेहनत के बावजूद किसानों को लाभ नहीं
सब्जियों के दाम इन दिनों जरूर बढ़े हैं, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं बल्कि बिचौलियों को हो रहा। थोक व्यापारी मंडी में किसान से अपने मनमुताबिक दाम पर सब्जी खरीदते हैं। वहीं, बिचौलिए फुटकर व्यापारियों के लिए दाम और बढ़ा देते हैं। ऐसे में जेब ग्राहकों की कटती है।
सब्जी थोक फुटकर
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टमाटर 50 80
आलू 20 30-35
लहसुन 45 60
अरबी 22 30
धनिया 120 150
शिमला 28 40
गोभी 30 40
भिडी 15 20
खीरा 13 20
तरोई 10 15
बैंगन 14 20
प्याज 15 20
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(भाव मंडी के मुताबिक रुपये प्रति किलो में) टमाटर का उपयोग लगभग हर सब्जी बनाने में होता है। जरूरी समान की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार को सख्त कानून बनाकर पालन भी कराना चाहिए।
- अर्चना बब्बर, गृहिणी पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही सब्जी की कीमतें चिता का विषय हैं। हर साल ऐसा ही होता है। इसका सीधा असर रसोई के स्वाद और गृहिणी के बजट पर पड़ता है।
- अंजू वैश्य, गृहिणी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली सब्जियों में टमाटर आता है, लॉकडाउन के दौरान जो टमाटर 15 रुपये किलो मिल रहा था अब उसकी कीमत 80 रुपये किलो हो गई है।
- किरन कोठारी, गृहिणी टमाटर एवं अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से रसोई का बजट बिगड़ जाता है। जिसकी भरपाई के लिए अन्य राशन के समान में कटौती करनी पड़ती है।
- रूपाली गुप्ता, अध्यापिका --------------
डेलापीर से थोक सब्जी लाने के बाद किराया आदि जोड़ने के बाद कुछ खर्च बढ़ जाता है। जिसके हिसाब से फुटकर में सब्जी बेची जाती है।
- शवाब, सब्जी विक्रेता कुतुबखाना मंडी बरसात के मौसम में सब्जी की आवक कम हो जाने के कारण रेट हर बार बढ़ जाते हैं। हमें जिस हिसाब से मिलता है हम अपना कुछ मुनाफा जोड़कर बेचते हैं।
- मोहम्मद सुहेल, सब्जी विक्रेता, कुतुबखाना मंडी