फासले से सजी ताजुश्शरिया के कुल की महफिल
दुनियाभर में अपनी दीनी और दुनियावी खिदमत के दम पर ताजुश्शरिया के नाम से मशहूर हुए आला हजरत के पोते मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां का कुल एहतियात की बंदिशों के बीच अकीदत के साथ मनाया गया।
बरेली, जेएनएन। दुनियाभर में अपनी दीनी और दुनियावी खिदमत के दम पर ताजुश्शरिया के नाम से मशहूर हुए आला हजरत के पोते मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां का कुल एहतियात की बंदिशों के बीच अकीदत के साथ मनाया गया। दरगाह पर खानवादे कोरोना के खात्मे और मुल्क की बेहतरी को दुआएं करते रहे, जबकि देश-विदेश में घरों से ऑनलाइन शामिल हुए जायरीन आमीन कहकर अल्लाह से कुबूल होने की इल्तिजा करते रहे। ताजुश्शरिया के दूसरे उर्स में दरगाह आला हजरत की गलियों में चंद लोग थे। पुलिस ने दरगाह से जोड़ने वाले रास्तों पर बैरियर लगा रखे थे।
इन पर रविवार को सुबह से ही फोर्स तैनात रहा। कोतवाल गीतेश कपिल के मुताबिक ऐसा एहतियात के चलते किया गया। दरगाह पर फज्र की नमाज के बाद कुरान की तिलावत हुई। सुबह 7.10 बजे ताजुश्शरिया के वालिद मुफस्सिर-ए-आजम इब्राहीम रजा खां (जिलानी मिया) के कुल की रस्म अदा की गई। लॉकडाउन का पालन करते हुए दरगाह पर वालिंटियर की ड्यूटी लगाई गई, जिससे भीड़ इकट्ठा न हो पाए। दरगाह के अंदर एक बार में सिर्फ चंद लोगों को ही हाजिरी व जियारत के लिए जाने दिया जा रहा था।
उर्स के मुख्य कार्यक्रम का आगाज बाद नमाज अस्त्र दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादानशीन एवं काजी-ए-¨हदुस्तान मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां की सरपरस्ती और जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उर्स प्रभारी सलमान मिया की निगरानी व उलमा की मौजूदगी में हुआ। कारी एजाज रेखद ने तिलावते कलाम पाक, रफीक रजा खां व सादिक रजवी ने ताजुश्शरिया की शान में कलाम पेश किए। इसके बाद उलमा ने ताजुश्शरिया की जिंदगी पर रोशनी डाली। बताया की ताजुश्शरिया ने अपनी सारी जिंदगी मसलक-ए-आला हजरत की खिदमत में लगा दी। शाम 7.14 बजे कुल हुआ। काजी-ए-¨हदुस्तान ने शिजरा शरीफ पढ़कर मुल्क सहित दुनिया भर के लिए दुआ की। कोरोना से निजात मांगी।
सलाम के साथ हुज़ूर ताजुश्शरिया के एक रोजा उर्स का समापन हुआ। उर्स की निजामत मौलाना गुलजार ने की। खानकाह ताजुश्शरिया के अलावा मदरसा जमियातुर्रजा मथुरापुर और मस्जिदों, मुहल्लों और घरों में भी ताजुश्शरिया का कुल ऑनलाइन मनाया गया। ये लोग रहे मौजूद इस मौके पर हुस्साम मिया, हुम्माम मिया, अफरोज मिया, अदनान मिया, हसीब मिया, बुरहान मिया, मंसूर मिया, मुफ्ती आशिक मिया, फरमान मिया, मोहतशिम मिया, शोएब मिया, मुफ्ती अफजाल, मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूकी, मौलाना अजीमुद्दीन व उर्स कोर कमेटी की तरफ से समरान खां, डॉ. मेहंदी हसन, शमीम अहमद, तमहीद पठान, मोइन खां, अब्दुल्लाह रजा खां, अतीक अहमद, रेहान रजा, बख्तियार खां मुख्य रूप से मौजूद रहे।
चीन बॉर्डर पर तैनात फौजियों की हिफाजत को दुआ दरगाह शाहदाना वली परिसर में शाहदाना वली वेलफेयर सोसायटी के सदस्यों ने ताजुश्शरिया का उर्स मनाया। यहां कोरोना के खात्मे के साथ चीन बॉर्डर पर तैनात भारतीय फौजियों की हिफाजत को भी दुआ की गई। मुतवल्ली सूफी अब्दुल वाजिद खा बब्बू मियां, बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खां वारसी, वसी अहमद वारसी, आतिर खां, जावेद खां, गुफरान दनाई, जरताब साबरी, भूरा साबरी आदि शामिल रहे। ट्रस्ट पर भी सजी महफिल आला हजरत ट्रस्ट के कार्यालय पर मौलाना मोहतशिम रजा खा कदरी की अध्यक्षता में उर्स ताजुश्शरिया की महफिल हुई।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने ताजुश्शरिया की खिदमात और कारनामों पर रोशनी डाली। हाफिज मुजफ्फर बरेलवी ने नात व मनकबत का नजराना पेश किया। मोहतशिम मियां की दुआ के साथ महफिल का समापन हुआ। किताब का विमोचन जासं, बरेली : दरगाह आला हजरत स्थित इस्लामिक रिसर्च सेटर पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की 20 किताबों के सेट रसायल-ए-ताजुश्शरिया का विमोचन हुआ। मारिया डे ग्रुप के चेयरमैन हाजी शकील कुरैशी ने विमोचन करते हुए ताजुश्शरिया अदबी खिदमात पर रोशनी डाली। इस मौके पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, मौलाना अबसार अहमद, शाहिद रजवी, आरिफ अंसारी, अनवर रजा कादरी आदि मौजूद रहे।