उर्स-ए-नूरी : इस्लामिया मैदान नहीं खलील में होगा जलसा Bareilly News
लसे का आयोजन अब खलील हायर सेकेंडरी स्कूल में होगा। जुमे की रात में छात्रों की दस्तारबंदी की जाएगी।
बरेली, जेएनएन : आला हजरत के छोटे साहिबजादे मुस्तफा रजा खां मुफ्ती आजम हिंद के एक दिनी उर्स के आयोजन स्थल को लेकर सोशल मीडिया पर दिनभर सफाई का दौर चलता रहा। इस बीच यह भी साफ हो गया कि इस्लामिया मैदान में कार्यक्रम कराने के लिए अनुमति नबीरे आला हजरत मौलाना तौसीफ रजा खां की तरफ से मांगी गई थी, जिसे प्रशासन ने नई परंपरा बताते हुए निरस्त कर दिया था।
मुफ्ती आजम हिंद का एक दिनी उर्स-ए-नूरी दरगाह आला हजरत परिसर में ही किया जाता रहा है। वहां आयोजन दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मौलाना अहसन रजा खां कादरी की देखरेख में होता है। दरगाह के पास ही जामे आला हजरत के नाम से मदरसा है। उसके संस्थापक मौलाना तौसीफ रजा खां हैं। उन्होंने बताया कि मदरसे के कार्यक्रम को इस्लामिया मैदान के लिए अनुमति मांगी थी।
उनका कहना है कि वह मदरसे का जलसा-ए-दस्तारबंदी इस्लामिया मैदान में करना चाहते थे, जिसकी अनुमति नहीं मिल सकी। शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने बताया कि जलसे का आयोजन अब खलील हायर सेकेंडरी स्कूल में होगा। जुमे की रात में छात्रों की दस्तारबंदी की जाएगी। इससे पहले कुछ धार्मिक नामों वाले वाट्सग्रुप में इस्लामिया की अनुमति को लेकर सवाल होते रहे। उन पर दरगाह के कुछ जिम्मेदार लोगों की तरफ से सफाई भी आई कि अनुमति उन्होंने नहीं मांगी है।
रात में जुटेंगे उलमा
हर साल की तरह इस साल भी उर्स-ए-नूरी का आगाज दरगाह आला हजरत पर शुक्रवार को सुबह कुरानख्वानी से होगा। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी के मुताबिक दिन में चादरपोशी का सिलसिला चलेगा। मगरिब की नमाज के बाद महफिले मीलाद और रात में नौ बजे मुल्क के नामवर उलमा की तकरीर होंगी। देर रात 1.40 बजे मुफ्ती आजम हंिदू के कुल की रस्म अदा की जाएगी। सभी कार्यक्रम दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां की सरपरस्ती और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी की देखरेख में होंगे।
रबड़ी टोला व बब्बन पुरवा में जलसा
नवासा-ए-रसूल की शहादत पर शहर के मुहल्ला रबड़ी टोला और बब्बन पुरवा में जलसे का आयोजन किया गया। रबड़ी टोला में रात जलसे का आगाज तिलावते कलाम पाक से किया गया। हाफिज मुहम्मद इश्तियाक अहमद, हाफिज राशिदुल कादरी, हाफिज जहीन अख्तर ने वाकियात-ए-कर्बला पर तफसील से रोशनी डाली। इमाम आली मकाम की अहमियत और किरदार को बयां किया। आसिम नूरी और रिसाल रजा ने नाते पाक पेश की। जलसे के इंतजाम में कमेटी के सदस्य मुहम्मद राशिद, अली रजा, तसलीम, मुहम्मद अजीम ने हिस्सा लिया। उधर, बब्बन पुरवा के मदरसा इस्लाहे मिल्लत के जलसे को तहसीने मिल्लत सूफी रिजवान रजा ने खिताब किया। इस मौके पर उन्होंने मदरसा प्रबंधक मौलाना सुहेल रजा को खिलाफत से नवाजा।