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UPSC 2020 Result : पिता बेचते थे चाय, ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले बरेली के हिमांशु बने आइएएस

UPSC 2020 Result देश की प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूूपीएससी) में दो बार सफलता की इबारत लिखने वाले हिमांशु गुप्ता ने 139 रैंक के साथ एक बार फिर कामयाबी हासिल की। वह 2021 में आइएएस की परीक्षा पहले भी पास कर चुके है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 07:05 AM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 07:05 AM (IST)
UPSC 2020 Result : पिता बेचते थे चाय, ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले बरेली के हिमांशु बने आइएएस
स्वजन के साथ खुशी मनाते हिमांशु गुप्ता।

बरेली, जेएनएन। UPSC 2020 Result : देश की प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूूपीएससी) में दो बार सफलता की इबारत लिखने वाले हिमांशु गुप्ता ने 139 रैंक के साथ एक बार फिर कामयाबी हासिल की। वह आइएएस की परीक्षा पहले भी पास कर चुके है, लेकिन अच्छी रैंक के लिए उन्होंने दोबारा यूपीएससी की परीक्षा दी थी। वह हैदराबाद में आइपीएस की ट्रैनिंग कर रहे है। उनके पिता संतोष गुप्ता ने बताया कि हिंमाशु ने उनका नाम रोशन कर दिया। कामयाबी की इबारत लिखने वाले हिंमाशु के लिए सफर आसान नहीं था।

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उधमसिंहनगर के सितारगंज में पिता को चाय बेचते देखकर उनके बचपन की शुरुआत हुई। आर्थिक कमजोरी उनके परिवार को खींचकर आंवला (बरेली) लेकर आई। यहां पिता ने किराना की दुकान शुरू की। उनकी मदद करने में अधिकांश वक्त देने के बावजूद हाेनहार हिमांशु ने छोटे से गांव से दिल्ली विश्वविद्यालय तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की। छात्रवृत्ति और ट्यूशन पढ़ाकर उन्होंने अपनी स्नातक पढ़ाई पूरी की। बिना कोचिंग उन्होंने दो बार कठिन परीक्षा में परचम लहराकर आइपीएस बनने का सपना पूरा किया।

संघर्ष के दिनों को याद करते हुए हिमांशु कहते हैं कि बचपन उत्तराखंड के सितारगंज में गुजरा। पहाड़ों पर जिंदगी कठिन होती है। छोटी जरूरतों के लिए पिता संतोष गुप्ता को घंटों मेहनत करते हुए देखा। तकरीबन 16 साल पहले मां चंचल गुप्ता और दो बहनों के साथ उनके पिता सिरौली (आंवला) में आकर बस गए। आजीविका के लिए उनके पिता ने पहले चाय का ठेला लगाया। फिर सड़क के किनारे परचून की दुकान सजाने लगे। हिमांशु के दिन की शुरुआत में पढ़ाई से पहले किराना दुकान सजवाने से होती थी। अांवला के बाल विद्या पीठ में कक्षा नौ से 12वीं की पढ़ाई के दौरान खाली वक्त दुकान को संभालने में जाता था। स्कूल तक पहुंचना भी कठिन था, क्योंकि गांव से स्कूल की दूरी 30 किमी थी।

इंटरमीडियट की बोर्ड परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के बाद हिमांशु को दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला मिल गया। 2016 में होनहार हिमांशु ने बैचलर इन साइंस में गोल्ड मेडिल हासिल किया। तीन बार नेट की परीक्षा पास की। वर्ष 2018 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता अर्जित की। कम रैंक की वजह से चयन भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन सेवा में हुआ तो हिमांशु संतुष्ट नहीं हुए। प्रशिक्षण के लिए जरूर गए, लेकिन 2019 में दोबारा परीक्षा दी। नतीजों में 588 वीं रैंक के साथ उनका आइपीएस बनने का सपना भी पूरा हो गया।

गांव के बच्चों की पढ़ाई के लिए करेंगे कामः आइपीएस बन चुके हिमांशु के पिता आंवला के सिरौली में आज भी परचून की दुकान चलाते हैं। ग्रामीण परिवेश की चुनौतियों को समझने वाले हिमांशु कहते है कि वह बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए जिंदगीभर काम करते रहेंगे। गांव के मेधावियों को अच्छी गाइडेंस नहीं मिलती। उन्हें समय के सदुपयोग के बारे में बताने वाला कोई नहीं होता। वो सेट रूटीन में जिंदगी व्यतीत करते हैं। अच्छे शिक्षक, कोच नहीं होने से कई प्रतिभाएं दबकर खत्म हो जाती है। अब इंटरनेट मीडिया पर जानकारी के सोर्स मौजूद है। परीक्षा के लिए खुद को सही तरीके से तैयार करना ही सफलता की कुंजी है।


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