पुराने वाहनों के सामने बेबस नए जमाने की हाई सिक्याेरिटी नंबर प्लेट, जानिए कैसे
High Security Number Plate पुराने दौर के वाहनों के सामने नए जमाने की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बेबस नजर आ रही। वर्ष 1989 से पहले के वाहन सात डिजिट में होते थे जबकि अनिवार्य की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के फार्मेट में 10 अंक-शब्द हैं।
बरेली, अंकित शुक्ला। पुराने दौर के वाहनों के सामने नए जमाने की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बेबस नजर आ रही। वर्ष 1989 से पहले के वाहन सात डिजिट में होते थे, जबकि अनिवार्य की गई हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के फार्मेट में 10 अंक-शब्द हैं। ऐसे में पुराने वालों की नई प्लेट कैसे बनेगी, इस पर शासन से मशवरा मांगा गया है।
परिवहन विभाग ने अप्रैल 2019 से पहले के सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट (एचएसआरपी) लगाना अनिवार्य कर दिया है।
एक मार्च से यह व्यवस्था लागू होने के बाद समस्या से अवगत कराया। बताया कि वर्ष 1989 के पहले के वाहनों पर सात से इससे कम डिजिट की नंबर प्लेट होती थी। इसके बाद जिला कोड के साथ नंबर आने लगे। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट डिजाइन की गई है। वाहन मालिक आनलाइन आवेदन करते हैं, इसके बाद संबंधित कंपनी नई प्लेट बनाकर भेजती है। मंडल के कई सरकारी विभागों में चलाए जा रहे पांच हजार पुराने वाहनों की नई प्लेट बनवाने का प्रयास किया गया। आनलाइन आवेदन के दौरान तय फार्मेट में 10 डिजिट का पुराने नंबर मांगा गया, जोकि इन वाहनों के पास नहीं था।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सारी व्यवस्था आनलाइन होने के कारण स्थानीय स्तर पर समाधान नहीं किया जा सकता। 1989 के पहले वाहनों का सात डिजिट का रजिस्ट्रेशन नंबर राज्य के आधार पर होता था। बाद में जिला कोड शामिल करते हुए 10 डिजिट के नंबर जारी हो गए। इस समस्या का समाधान शासन स्तर से ही हो सकेगा।
शासन स्तर पर बात की जा रही है। कुछ वाहन स्वामियों ने पत्र दिया था, जिसकी जानकारी मुख्यालय को दे दी गई है। जल्द ही इन वाहनों में भी नंबर प्लेट लगेगी। - डॉ. अनिल कुमार गुप्ता, आरटीओ
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के ये हैं फायदे
एचएसआरपी को नॉन रिमूवेबल स्नैप-ऑन-लॉक से वाहन पर फिक्स कर दिया जाता है, जिसकी वजह से इसे बदला नहीं जा सकता है। वाहन चोरी की घटनाओं में सबसे पहले नंबर प्लेट बदल दी जाती है, लेकिन हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट से तुरंत गाड़ी ट्रैक की जा सकती है। साथ ही इसमें वाहन के इंजन नंबर और चेसिस नंबर सहित उसकी सभी जरूरी डिटेल्स एक केंद्रीयकृत डेटाबेस में स्टोर रहती हैं। अगर वाहन चोरी हो जाता है तो इसे ट्रैक करने के लिए 10 अंकों का पिन और स्टोर डेटा काम आता है। इससे उनको जल्दी ट्रेस कर लिया जाता है।
आंवला निवासी आलोक श्रीवास्तव को अपनी गाड़ी की फिटनेस करानी थी। चार पहिया कामर्शियल वाहन में अभी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न लगे होने के कारण कोई काम नहीं किया गया। अधिकारियों से भी मिले, हालांकि बाद में ऑनलाइन बुकिंग की रसीद मिलने के बाद गाड़ी की फिटनेस कर दी गई।
खुर्रम गौटिया निवासी प्रमोद मौर्य को अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराना था। सभी कागजात पूरे थे, लेकिन एचएसआरपी नहीं लगी थी। इसके चलते उन्हें भी लौटा दिया गया। अधिकारियों ने उन्हें भी बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाए कोई भी काम नहीं कराने की बात कही।