12 साल से बिना नियुक्ति पत्र के नौकरी करते रहे दो शिक्षक
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अब दो और ऐसे फुल टाइम शिक्षकों के नाम सामने आए हैं जो 12 साल से नौकरी तो कर रहे हैं मगर उनके पास नियुक्ति पत्र नहीं मिले।
बरेली, जेएनएन : कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अब दो और ऐसे फुल टाइम शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, जो 12 साल से नौकरी तो कर रहे हैं मगर उनके पास नियुक्ति पत्र नहीं मिले। अनामिका शुक्ला प्रकरण सामने आने के बाद हुए सत्यापन में इसका पता चला। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का वेतन रोकते हुए तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। बीते सप्ताह भी तीन शिक्षक ऐसे पाए गए थे, जो दस साल से नौकरी करते आ रहे है लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं हैं।
अनामिका शुक्ला प्रकरण सामने आने के बाद इन दिनों बीएसए कार्यालय में शिक्षकों के दस्तावेजों का मिलान किया जा रहा। इसमें कस्तूरबा विद्यालय के शिक्षक व अन्य स्टाफ के शैक्षिक अभिलेख भी जांचे गए। जिनमें पता चला कि दमखोदा ब्लॉक के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय रिछा में तैनात शिक्षक जेबी जैदी और सुचिता परासरी वर्ष 2008 से नौकरी कर रहे हैं लेकिन उनके पास नियुक्ति पत्र नहीं है। शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय को बताया कि उस समय एक एनजीओ ने नियुक्ति की थी, इसलिए नियुक्ति पत्र नहीं दिया। वहीं, लापरवाही यह रही कि 12 साल में जिले में कई बीएसए आए, लेकिन किसी ने भी जांच न करके शिक्षकों का हर साल नवीनीकरण कर दिया। अब वर्तमान बीएसए विनय कुमार ने वेतन रोक कर जांच बैठाई है।
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एनजीओ को भी दिया जाएगा नोटिस
शिक्षकों के पास नियुक्ति पत्र न मिलने के मामले में उस समय की एनजीओ आदर्श ग्रामोद्योग संस्थान, एटा को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा जाएगा। पूछा जाएगा कि किन नियमों के तहत शिक्षकों की कस्तूरबा विद्यालयों में नियुक्ति की गई थी।
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कस्तूरबा विद्यालय के दो और शिक्षक हैं, जिनके पास नियुक्ति पत्र नहीं हैं, उनका वेतन रोकते हुए स्पष्टीकरण मांगा गया है।
-विनय कुमार, बीएसए
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जांच के घेरे में परिषदीय स्कूलों के सात संदिग्ध शिक्षक
बरेली, जेएनएन: परिषदीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगी हैं। बुधवार को एसआइटी की ओर से संदिग्ध शिक्षकों की सूची बीएसए के पास पहुंची। इसमें बरेली के सात शिक्षकों की बीएड की मार्कशीट आगरा विश्वविद्यालय की होने और जांच करने की बात कही गई। इसके बाद बीएसए ने गुरुवार सुबह इन शिक्षकों को मूल अभिलेखों के साथ दफ्तर बुलवाया। एक-एक कर उन्होंने सभी के दस्तावेजों की जांच की। बीएड की मार्कशीट भी देखी। नाम, पता, जन्म तिथि से लेकर घर का मूल पता, फोटो और चेहरे का मिलान किया। पूछताछ में शिक्षकों ने बताया कि उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से बीएड नहीं किया है। आरोप गलत हैं। बीएसए ने बताया कि मानव संपदा पोर्टल और एसआइटी की सूची में इनके नाम व पिता का नाम एक ही है। इसलिए जांच की जा रही है। बीएसए विनय कुमार ने कहा कि फिलहाल, इनमें किसी की बीएड की मार्कशीट आगरा विश्वविद्यालय की नहीं मिली है। जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।