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ICMR के एप्रूवल के बाद बरेली में बिक रही इस दवा की सौ रुपए में दो टेबलेट

आइसीएमआर के एप्रूवल के बाद शासन ने इस दवा को हर संक्रमित स्वास्थ्य कर्मी और संक्रमित के स्वजनों को देने के निर्देश दिए है। यह दवा कारगर साबित हुई तो अब बाजार में इसकी मांग बढ गई।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 11:05 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 01:51 PM (IST)
ICMR के एप्रूवल के बाद बरेली में बिक रही इस दवा की सौ रुपए में दो टेबलेट
ICMR के एप्रूवल के बाद बरेली में बिक रही इस दवा की सौ रुपए में दो टेबलेट

बरेली, जेएनएन। दो माह पहले तक जिस आइवरमेक्टिन दवा को चिकित्सक पेट में हुए कीड़े मारने के लिए लिखते थे। वह दवा अब वैश्विक माहामारी बन चुके कोरोना के संक्रमण को रोकने में काम आ रही है। आइसीएमआर के एप्रूवल के बाद शासन ने इस दवा को हर संक्रमित, स्वास्थ्य कर्मी और संक्रमित के स्वजनों को देने के निर्देश दिए है। यह दवा कारगर साबित हुई तो अब बाजार में इसकी मांग पहले से दस गुना बढ़ गई है। जेनरिक आइवरमेक्टिन तो बाजार से लगभग गायब ही हो चुकी है। एथिकल आइवरमेक्टिन जो मिल रही है, उसका दाम आसमान छू रहा है। बताते हैं दो टेबलेट सौ रुपये में मिल रही हैं, जबकि यही पहले 185 रुपये में दस टेबलेट मिलती थीं।

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इस तरह खानी होती है दवा कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने वाले स्वजन और स्वास्थ्य कर्मियों को भी यह दवा लेनी है। यह दवा पहले और सातवें दिन रात में खाना खाने के 2 घंटे बाद खानी है। स्वास्थ्य कर्मी दवा खाने की पूरी जानकारी मरीज के परिवारीजन को देंगे ताकि उनमें संक्रमण का खतरा न हो।

गर्भवती को नहीं खानी ये दवा : शासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि आइवरमेक्टिन दवा गर्भवती और 2 साल से कम बच्चों को नहीं देनी है। दवा संक्रमित के संपर्क में आने वाले व्यक्ति व हेल्थ वर्कर को दी जानी है।

तेजी से बढ़ रही डिमांड : केमिस्ट ऐसोशिएसन के पदाधिकारियों का कहना है कि आइवरमेक्टिन की मांग बीते दो माह में काफी बढ़ गई है। पहले महीने भर में बमुश्किल 10-12 हजार टेबलेट बिकती होगी, जबकि बीते माह से अब तक एक लाख से अधिक टेबलेट बेची जा चुकी है। इसकी मांग आने वाले समय में और बढ़ेगी।

जेनरिक दवा गायब, एथिकल ही उपलब्ध

मंडल केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के विजय मूलचंदानी ने बताया कि आइवरमेक्टिन की टेबलेट जबसे कोरोना के लिए कारगर बताई गई है। इसके बाद से इसकी मांग बढ़ी है। मांग के अपेक्षा बाजार में स्टॉक काफी कम है। एथिकल कंपनी ही यह दवा उपलब्ध करा पा रही हैं ।इसकी एक गोली की कीमत 50 रुपये हैं। सरकार को चाहिए कि जेनरिक कंपनी की दवा बाजार में उपलब्ध कराए ताकि यह सस्ते दाम पर लोगों को मिल सके। पेट के कीड़े मारने की दवाकोविड चिकित्सालय के सीएमएस डा. वागीश वैश्य ने बताया कि संक्रमण से बचाव में कई दवाएं प्रयोग की गईं। उसमें अब आइवरमेक्टिन ज्यादा कारगर बताई गई है। यह पेट के कीड़े मारने की दवा है, लेकिन अब इसे संक्रमण से बचाव में इस्तेमाल किया जा रहा है।


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