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एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज

जिला अस्पताल में वायरल बुखार और डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Sep 2018 07:00 AM (IST)Updated: Sat, 01 Sep 2018 07:00 AM (IST)
एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज
एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज

जागरण संवाददाता, बरेली : आंवला तहसील क्षेत्र में जहां बुखार से कई लोगों की मौत हो गई वहीं जिला अस्पताल के हालात भी लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जिला अस्पताल में वायरल बुखार और डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। प्रतिदिन ओपीडी में एक हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन विभाग इसको लेकर सतर्क नहीं है। स्वास्थ्य विभाग मरीजों के दर्द पर दवाओं का मरहम लगाने में फेल साबित हो रहा है। यहां दवाओं की कमी है। मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं, साथ ही मरीजों के लिए न तो अतिरिक्त डाक्टरों की व्यवस्था की गई है और न ही वार्डो की। आंवला क्षेत्र में तीन दिन में पांच लोगों की मौत हो गई है।

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एक बेड पर दो मरीजों का इलाज

जिला चिकित्सालय में भर्ती डायरिया के मरीजों की स्थिति बेहद दयनीय है। वार्ड में मात्र 12 बेड हैं। जबकि वर्तमान में यहां 16 मरीज इलाज करा रहे हैं, संख्या लगातार बढ़ ही रही है। एक बेड पर दो-दो मरीजों को ड्रिप लगाई जा रही है। जिम्मेदारों को इस बात का भी ख्याल नहीं है कि एक मरीज से दूसरे मरीज में संक्रमण फैल सकता है। इतना ही नहीं वार्ड में बदबू का आलम यह है कि तीमारदार मुंह पर रुमाल बांधकर मरीजों के पास बैठ रहे हैं। यहां साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल परिसर में ही जगह-जगह जलभराव हो रहा है। इसमें बीमारी जनित कीटाणु पनप रहे हैं।

सीएमओ को नजर नहीं आ रही दवाओं की कमी

ओपीडी के फिजीशियन डा. वागीश वैश्य ने बताया कि हमारे यहां लगभग एक हजार से अधिक मरीज प्रतिदिन चेकअप के लिए आ रहे हैं। इनमें अधिकांश को वायरल फीवर की समस्या है। कुछ में डायरिया के लक्षण मिले तो उन्हें भर्ती कर लिया गया। अस्पताल में मरीजों को देने के लिए पर्याप्त दवाएं नहीं हैं। इसके कारण लोगों को बाहर से दवाएं लेने का सुझाव दिया जा रहा है। वहीं, सीएमओ डा. वीके शुक्ला के अनुसार अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है। उनका दावा है कि यहां दवाएं पर्याप्त हैं। बीमारी के बचाव के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फॉगिंग कराई जा रही है। वर्जन--

अस्पताल में इलाज के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। पहले तो घंटों पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर से चेकअप कराने को लाइन में लगना पड़ रहा है। इसके बाद भी यहां दवाएं नहीं मिल रहीं।

- विद्यावती, मरीज

सरकारी अस्पताल में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। गरीब लोग इलाज को कहां जाएं। वार्डो में सफाई नहीं होने से गंदी बदबू आती है। दवाएं भी बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।

- हनीफ, तीमारदार


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