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Toilet Scam : बरेली में करोड़ो के शौचालय घोटाले में बदले चार बैंकों के सुर, नहीं दिया ब्यौरा, बता रहे ये वजह

पंचायती राज विभाग में हुए शौचालय घोटाले में अब बैंकों के सुर बदल गए हैं। बैंको का कहना है कि घोटाले में जितनी राशि बताई जा रही है। उतने का उनके पास ब्यौरा नहीं है बल्कि करीब चार करोड़ रूपये की राशि ही उनके पास है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 01:27 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 01:27 PM (IST)
Toilet Scam : बरेली में करोड़ो के शौचालय घोटाले में बदले चार बैंकों के सुर, नहीं दिया ब्यौरा, बता रहे ये वजह
बरेली में करोड़ो के शौचालय घोटाले में बदले चार बैंकों के सुर, नहीं दिया ब्यौरा, बता रहे ये वजह

बरेली जेएनएन। पंचायती राज विभाग में हुए शौचालय घोटाले में अब बैंकों के सुर बदल गए हैं। बैंको का कहना है कि घोटाले में जितनी राशि बताई जा रही है। उतने का उनके पास ब्यौरा नहीं है बल्कि करीब चार करोड़ रूपये की राशि ही उनके पास है। वहीं अब तक बैंकों ने लाभार्थियों को भेजी जाने वाली राशि का पूरा ब्यौरा भी नहीं दिया है। पंचायती राज विभाग में पिछले दिनों 12 करोड़ 34 लाख रूपये का घोटाला सामने आया था। इस पर पूर्व पंचायती राज अधिकारी चंद्रिका प्रसाद ने एक बाबू को निलंबित कर दिया था। साथ ही जांच एडीपीआरओ को सौंपी गई थी।

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मामले की जब जांच की गई तो सामने आया कि कई लाभार्थियों के खाते में दो दो बार राशि डाल दी गई है। वहीं कई ऐसे लाभार्थी थे जिनके खाते सही न होने से राशि उनके खाते में ही नहीं पहुंची थी। इसके बाद बैंको से भेजी गई सूची के खातों का पूरा ब्यौरा मांगा गया था। करीब 11 बैंक थे जिनके यहां से लाभार्थियों की सूची में राशि डाली गई थी। इन बैंकों में सात बैंकों ने ब्यौरा दे दिया है लेकिन चार ऐसे बैंक है जिन्होंने अभी तक लेनदेन का ब्यौरा नहीं दिया।

वहीं अधिकारियों का कहना है कि जिस राशि को 12 करोड़ 34 लाख रुपये बताया जा रहा था। वह राशि चार करोड़ रूपये के करीब है। इसमें करीब एक करोड़ 37 लाख रुपये की अब तक रिकवरी भी की जा चुकी है। वहीं जिस बाबू को निलंबित किया गया है। उसका का कहना है कि उसके पास जो सूची आई थी। उसी को बैंको के पास भेजा गया था। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि यह सूची किसने बनाकर भेजी और उस स्तर पर इस सूची का सत्यापन क्यों नहीं किया गया। हालांकि अभी तक जांच सिर्फ बाबू और बैंक तक ही सिमटकर रह गई है।

जो राशि बताई जा रही थी। उतनी राशि नहीं है बल्कि उससे कम राशि है। कुछ राशि की रिकवरी भी की जा चुकी है। हालांकि कुछ बैंकों ने अभी ब्यौरा नहीं दिया है। धर्मेंद्र कुमार, डीपीआरओ


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