कोल्ड चेन की मजबूरी खत्म करेगी थर्मोटोलरेंट वैक्सीन
वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए 24 घंटे कोल्ड स्टोरेज में रखने की मजबूरी जल्द खत्म होगी।
जागरण संवाददाता, बरेली : वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए चौबीसों घंटे कोल्ड स्टोरेज में रखने की मजबूरी जल्द खत्म होगी। आइवीआरआइ के वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद थर्मो टोलरेंट वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल की है। इस वैक्सीन की खासियत होगी कि अगर इसकी कोल्ड चेन टूटती है यानी यह वैक्सीन कुछ घंटों के लिए ठंडे तापमान पर नहीं भी रहती है तो इसकी गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ेगा। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने यह जानकारी भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में बातचीत के दौरान दी। वे आइवीआरआइ में आयोजित एक कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। टेस्टिंग कर तैयार हो रहा वैक्सीन का डाटा
थर्मोटोलरेंट वैक्सीन की बाजार में उपलब्धता के बाबत डॉ. महापात्रा कहते हैं कि फिलहाल वैक्सीन टेस्टिंग मोड पर है। अब यह देखा जा रहा है कि वैक्सीन कितनी देर तक बिना कोल्ड स्टोरेज के पूरी तरह असरदार साबित होती है। अलग-अलग पशुओं पर इसकी टेस्टिंग कर डाटा तैयार किया जा रहा है। गांव-कस्बों में मिलेगा खास फायदा
थर्मोटोलरेंट वैक्सीन बाजार में आने के बाद गांव और देहात के किसान और पशुपालकों को खासा फायदा होगा। अभी तक किसानों को कोल्ड चेन की मजबूरी के चलते वैक्सीनेशन के लिए पशुओं को इलाज के लिए ले जाना पड़ता था। वैक्सीन लेकर जाने पर असर कम या खत्म हो जाता था। थर्मोटोलरेंट वैक्सीन आने के बाद पशुपालक खुद वैक्सीन ले जाकर पशुओं को इंजेक्शन लगा सकेंगे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में वैक्सीन टेस्टिंग में किसी तरह की कोताही होने से साफ इन्कार कर दिया। सीओ-238 ने बढ़ाई सात मिलियन टन गन्ना उत्पादकता
किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास पर आइसीएआर महानिदेशक डॉ. महापात्रा ने कहा कि वैज्ञानिकों की कई शोध के बाद इजाद गन्ने की प्रजाति सीओ-238 किसानों के लिए फायदेमंद रही है। शुगर रिकवरी साढ़े आठ व नौ फीसद से बढ़कर 12 फीसद पहुंची। पहले देश में 25 मिलियन टन गन्ना होता था, अब यह 32 मिलियन टन से ऊपर पहुंच गया है। बायो एथेनॉल को पेट्रोल में दस फीसद इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे गन्ने के बायो प्रोडेक्ट शीरे की बिक्री बढ़ेगी।