Women Empowerment : कई किस्म का सिरका, कई परिवार संवरे Bareilly News
पति से कुछ लोगों ने शुद्ध सिरके की मांग की। चूंकि हमारी रसोई में सिरका तैयार रहता था तो उसी में से दे दिया। लोगों को पसंद आया। बस यहीं से विचार आया कि क्यों न सिरके के जरिये ही कुछ कारोबार किया जाए।
बरेली [रवि मिश्रा] : घर के अंदर बैठकर सिर्फ चौकी-चूल्हा ही नहीं, वे परिवार की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए भी कदम बढ़ा रहीं थीं। दिमाग में विचार आया कि रसोई में हर रोज उपयोग में वाले सिरके से ही क्यों न कुछ आगे बढ़ा जाए। उन्होंने इसी को जरिया बनाया और स्वरोजगार की ओर बढ़ती चली गईं। एक-एक कर एक दर्जन महिलाओं ने समूह बनाकर सिरके को कारोबार बना लिया। कई किस्में तैयार कर लीं। आज वे सभी अपने परिवार के लिए मजबूत आर्थिक स्तम्भ बनी हुईं हैं।
फरीदपुर के भगवानपुर फुलवा गांव में रहने वाली सीमा कश्यप ने बताया कि उनके पति हीरालाल पहले अचार बेचने का काम करते थे और मैं घर के कामकाज। पति से कुछ लोगों ने शुद्ध सिरके की मांग की। चूंकि हमारी रसोई में सिरका तैयार रहता था तो उसी में से दे दिया। लोगों को पसंद आया। बस यहीं से विचार आया कि क्यों न सिरके के जरिये ही कुछ कारोबार किया जाए। जिसके बाद गांव की 11 महिलाओं को एकत्रित कर समूह बनाया और फिर मिली धनराशि से सिरका बनाने का कार्य शुरू किया।
यू-ट्यूब से लिया ज्ञान, किया प्रयोग
सीमा ने बताया कि सिरका की क ई किस्में तैयार करने के लिए उसने अपने पति हीरालाल के साथ मिलकर यू-ट्यूब का सहारा लिया। जिसमें कई वीडियों को देखकर कुछ ज्ञान लिया। इसके बाद स्वयं के आधार पर उस ज्ञान के साथ कुछ पुराने नुस्खों को अपनाते हुए सिरका की कई किस्में तैयार की। शुरूआत तो शुद्ध सिरके से की थी। जिसके बाद तड़का व संजीवनी सिरका तैयार किया। इन सिरको में लहसुन, हल्दी आदि का प्रयोग किया। लोगों को स्वाद अच्छा लगा तो मांग बढ़ती गई।
कुंभ से मिला रिस्पांस, मिली पहचान
सीमा ने बीते कुंभ में स्टाल लगाया तो वहां सिरका की खूब बिक्री हुई। ढाई हजार लीटर सिरका बिका। उनके समूह में ममता, सावित्री, द्रोपादेवी, सुुख देवी, द्रोपा, नेहा, धनदेवी, कमला, संतोषी, मायादेवी व मंजू भी शामिल है।