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बरेली में खुला पशु टीकाकरण का राज, आठ लाख पशुओं को लगाई गुणवत्ता विहीन वैक्सीन, कई की हुई मौत

पशुओं को खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाने के लिए बीते साल टीकाकरण किया गया था। लेकिन टीकाकरण के बाद भी पशुओं के बीमार होने और मौत होने का सिलसिला जारी रहा। जिले के अलग-अलग ब्लाकों में कई पशु बीमार रहे तो कई की मौत हो गई।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 08:19 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 08:19 AM (IST)
बरेली में खुला पशु टीकाकरण का राज, आठ लाख पशुओं को लगाई गुणवत्ता विहीन वैक्सीन, कई की हुई मौत
बरेली में खुला पशु टीकाकरण का राज, आठ लाख पशुओं को लगाई गुणवत्ता विहीन वैक्सीन, कई की हुई मौत

बरेली, अंकित गुप्ता। पशुओं को खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाने के लिए बीते साल टीकाकरण किया गया था। लेकिन टीकाकरण के बाद भी पशुओं के बीमार होने और मौत होने का सिलसिला जारी रहा। जिले के अलग-अलग ब्लाकों में कई पशु बीमार रहे तो कई की मौत हो गई। इसके पीछे का कारण पशुओं को लगाई जाने वाली वैक्सीन थी, जो जांच में गुणवत्ताविहीन पाई गई थी। बाद में इस पर रोक लगी, लेकिन तब तक जिले में 8,39,000 पशुओं का टीकाकरण हो चुका था।

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भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम सितंबर 2019 में शुरू किया गया था। वैक्सीन देरी से आने के चलते 2020 में इसे लगाने का सिलसिला शुरू हुआ। जिले के 9,42,500 पशुओं का टीकाकरण किए जाने के लिए वैक्सीन आई थी। इसी दौरान पता चला कि वैक्सीन अधोमानक है तो वैक्सीनेशन रोक दिया गया, लेकिन तब तक जिले के 8,39,000 पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी थी।

इसके बाद शेष बची एक 1,03,500 वैक्सीन को स्टोर में रख दिया गया, जो अब तक जिले में ही रखी हैं। इसके बाद अब तक इसे वापस मंगाने को लेकर कोई प्रक्रिया अमल में नहीं लाई गई। बता दें कि जिले में कोरोना काल के दौरान कई पशुओं के बीमार होने की जानकारी सामने आई थी। लोग इसे लेकर संशय में थे कि वैक्सीन लगाए जाने के बाद भी खुरपका, मुंहपका की बीमारी खत्म क्यों नहीं हो रही। जब वैक्सीन के गुणवत्ताविहीन होने की जानकारी मिली तो संशय खत्म हुआ।

नए सत्र के लिए तैयारी शुरू: पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत नए सत्र के टीकाकरण की तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि अभी नए सत्र के लिए वैक्सीन प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन पशुओं की गिनती और उनकी टैगिंग का काम चल रहा है। सूकर पालकों को पशुओं को कम से कम निकालने व सफाई रखने के हिदायत दी गई है।

डेटा फीडिंग में फंस गया वैक्सीनेटरों का भुगतान

बीते साल जिले में 8,39,000 पशुओं का टीकाकरण किया गया था। इन पशुओं को टीका लगाने वालों का अब तक भुगतान नहीं हो सका है। बताते हैं कि भुगतान डेटा फीडिंग के बाद होना है। इसके चलते तेजी से डेटा फी¨डग का काम किया जा रहा है। अब तक जिले में चार लाख से अधिक पशुओं के डेटा  फीडिंग का काम किया जा चुका है।

वैक्सीन गुणवत्ताविहीन होने की जानकारी मिलने के बाद टीकाकरण रोक दिया गया था, लेकिन तब तक 8,39,000 पशुओं का टीकाकरण हो चुका था। इसके बाद वैक्सीन रखवा दी गई थी जो अब तक रखी है। वैक्सीनेटरों के भुगतान के संबंध में प्रक्रिया शुरू हो गई है। - डा. ललित कुमार वर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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