Move to Jagran APP

बरेली में कोरोना संक्रमण के बीच मंडरा रहा ब्लैक फंगस का खतरा, जानियेे क्या है ये ब्लैक फंगस

कोविड संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस से जुड़े मामले देश में सामने आने लगे हैं। इसे मेडिकल की भाषा में म्यूकोरमाइकोसिस भी कहते हैं। ब्लैक फंगस से जुड़े मामलों में कोरोना संक्रमण भी मिला है। हालांकि कोरोना की वजह से ब्लैक फंगस हो रहा है ऐसा हरगिज नहीं है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 01:43 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 01:43 PM (IST)
बरेली में कोरोना संक्रमण के बीच मंडरा रहा ब्लैक फंगस का खतरा, जानियेे क्या है ये ब्लैक फंगस
जानकार बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी और स्टेरायड इसका शिकार बनने की बड़ी वजह।

बरेली, जेएनएन। कोविड संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस से जुड़े मामले देश में सामने आने लगे हैं। इसे मेडिकल की भाषा में म्यूकोरमाइकोसिस भी कहते हैं। ब्लैक फंगस से जुड़े मामलों में मरीजों के अंदर कोरोना संक्रमण भी मिला है। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से ब्लैक फंगस हो रहा है, ऐसा हरगिज नहीं है। जानकार बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के इलाज में उपयोग स्टेरायड्स की वजह से ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के केस सामने आ रहे हैं। क्योंकि इस दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है।

loksabha election banner

आइवीआरआइ के वैज्ञानिक डॉ.भोजराज सिंह बताते हैं कि ब्लैक फंगस हमारे लिए कुछ नया नहीं है। ये फंगस अमूमन हमारे शरीर में रहते हैं। सामान्य तौर ये बेहद सामान्य होते हैं, सामान्य इंसान में किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते। लेकिन अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो, तो ये ही फंगस खतरनाक हो जाते हैं। 

नाक-कान समेत कई जगह रहते हैं फंगस

डॉ.अतुल अग्रवाल बताते हैं कि ब्लैक फंगस पहले से ही हवा और जमीन में मौजूद हैं। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाला शख्स के इसकी चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है। फंगस पहले नाक से शरीर में प्रवेश करता है और फिर फेफड़ों से रक्त के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है। संक्रमण जितना ज्यादा होगा, लक्षण भी उतना ही गंभीर होगा।

स्टेरायड का सीमित प्रयोग ही विकल्प

लंबे समय तक अस्पताल में रहने और स्टेरायड के ज्यादा प्रयोग से ब्लैक फंगस खतरनाक बन जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से यह इंसान के दिमाग, आंख, नाक, कान , गले या फेफड़ों पर असर करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा कम हो, तो ये फंगस इतने खतरनाक हो जाते हैं कि मौत का भी कारण बन सकते हैं।

स्टेरायड के ये भी नुकसान

ड्रग की हाईडोज वायरल लोड से लड़ने के अलावा शरीर पर दूसरी तरह रिएक्ट करती है। जैसे इससे रोग से लड़ने की क्षमता कम हो सकती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को खासा परेशानी हो सकती है, ये बीमारी अनियंत्रित हो सकती हैं। यानी, हायर ड्रग्स जैसे स्टेरॉयड, या हाई एंटीबायोटिक मॉडरेट या सीवियर कैटेगरी से कम वायरल लोड वाले मरीजों को देना बेहद खतरनाक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.