Move to Jagran APP

बरेली के एसआरएमएस रिद्धिमा के मंच पर हुआ नाटक का मंचन

एसआरएमएस रिद्धिमा में चल रहे थियेटर फेस्टिवल इंद्रधनुष में शुक्रवार को नाटक अर्थकाव्य का मंचन किया गया। इसमें समाज की बुराइयों और रिश्तों में उलझी एक पारिवारिक कहानी को दर्शाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 05:52 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 05:52 AM (IST)
बरेली के एसआरएमएस रिद्धिमा के मंच पर हुआ नाटक का मंचन
बरेली के एसआरएमएस रिद्धिमा के मंच पर हुआ नाटक का मंचन

जागरण संवाददाता, बरेली: एसआरएमएस रिद्धिमा में चल रहे थियेटर फेस्टिवल इंद्रधनुष में शुक्रवार को नाटक अर्थकाव्य का मंचन किया गया। इसमें समाज की बुराइयों और रिश्तों में उलझी एक पारिवारिक कहानी को दर्शाया गया।

loksabha election banner

नाटक में चार किरदारों के इर्द-गिर्द पूरी कहानी घूमती है। कहानी की शुरुआत राहुल और दिव्या नाम के पात्रों से होती है। राहुल अपने शगल और पेशेवर नैतिकता को कुछ अनदेखे रूप में पाता है। उसके पिता धर्मपाल सिन्हा वास्तविकता में उसके पिता नहीं हैं। उसका जन्म उसके नाजायज पिता शेखर गुप्ता के माध्यम से हुआ है। शेखर गुप्ता जो कि एक अय्याश, और धोखेबाज इंसान था। शेखर और धर्मपाल सिन्हा एक दूसरे को जानते थे। शेखर ने धर्मपाल की पत्नी मालती सिन्हा को अपनी व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए रखा था। राहुल उन्हीं दोनों की नाजायज औलाद है जो कि अंदर ही अंदर घुटता रहा है। धर्मपाल सिन्हा एक बड़े ठेकेदार हैं जो चाहते हैं कि राहुल भी उन्हीं के साथ काम करे। लेकिन राहुल एक कलाकार है जो कि थिएटर के अलावा और कुछ नहीं जानता है। पिता पुत्र में इसी को लेकर आए दिन झगड़े होते रहते हैं। राहुल की प्रेमिका दिव्या उसके साथ थिएटर में नाटक करती है, दोनों जल्द शादी कर लेते हैं। राहुल एक नाटक की स्क्रिप्ट लिखता है जो उसके और शेखर गुप्ता के ऊपर आधारित है। इसकी पात्र माया कपूर एक ऐसी औरत है जो अपनी जिदगी के सच को दुनिया से छुपाए है। झगड़े के बाद धर्मपाल सिन्हा राहुल को बताते हैं कि मालती सिन्हा ही माया कपूर है। धर्मपाल सिन्हा राहुल को पूरी बात बताते हैं कि कैसे वो और शेखर गुप्ता साथ मिलकर व्यापार करते हैं। लेकिन धर्मपाल सिन्हा शेखर गुप्ता के ऊपर व्यापार छोड़कर चले जाते हैं। जब वे वापस लौटते हैं तो शेखर उनकी सारी दौलत पर कब्जा कर चुका होता है। सच पता चलने के बाद राहुल नाटक पूरा करता है और शेखर गुप्ता की सच्चाई से सबको रूबरू कराता है। लेकिन पूरी तरह टूट चुका राहुल अंत में खुद को खत्म कर लेता है। दिव्या परिवार में विचित्र चल रही चीजों को ठीक करने का प्रयास करती है। लेकिन वह खुद परिस्थितियों का शिकार हो जाती है। नाटक में मालती का किरदार काजल सूरी, राहुल का किरदार शांतनु सैनी, धर्मपाल सिन्हा का किरदार राजीव सैनी, दिव्या का किरदार दृष्टि ने निभाया। नाटक में संगीत किरण चोपड़ा ने दिया। एसआरएमएस ट्रस्ट चेयरमैन देव मूर्ति ने रूबरू थिएटर ग्रुप की वाइस प्रेसिडेंट और प्रोडक्शन कोआर्डिनेटर मधु शर्मा को स्मृति चिन्ह और इंद्रधनुष पुस्तक प्रदान की। इस नाटक का निर्देशन काजल सूरी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आशा मूर्ति, आदित्य मूर्ति, ऋचा मूर्ति, सुभाष मेहरा, डा. रीता शर्मा और शहर के संभ्रांत लोग मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.