Agriculture Law Withdrawn Celebration : बरेली में कृषि कानून वापसी पर खुश हुए नेता, किसानों ने मिठाई खिलाकर मनाया जश्न, दी प्रतिक्रिया
Agriculture Law Withdrawn Celebration प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के फैसले का किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। किसान नेताओं ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर बधाई दी। वहीं सभी ने मांग रखी कि अभी असली जीत बाकी है।
बरेली, जेएनएन। Agriculture Law Withdrawn Celebration : प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने के फैसले का किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। किसान नेताओं ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर बधाई दी। वहीं सभी ने मांग रखी कि अभी असली जीत बाकी है। केंद्र सरकार ने फैसला लेकर किसानों को राहत दी है, लेकिन एमएसपी और किसानों पर मुकदमे वापस होने तक संघर्ष जारी रहेगा। प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद जिले के किसानों में तीनों कृषि कानूनों को लेकर चर्चा तेज रही। हालांकि जनपद के किसान इसे लेकर कोई खास विरोध नहीं कर रहे थे। फिर भी कृषि कानून वापसी की घोषणा के बाद वह इस कानून से नफा और नुकसान पर मंथन करते दिखे। कुछ किसान प्रधानमंत्री के इस कदम को सही बता रहे थे तो कुछ ने तीनों कृषि कानून के जरिए कई तरह की मदद के साथ देश के अच्छे बाजार मिलने की बात कही।
एक दूसरे को मिठाई खिला जाहिर की खुशीतीनों कृषि कानूनों की वापसी पर किसान एकता संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. रवि नागर ने सभी किसान संगठनों व संघर्ष में शामिल किसानों को बधाई देने के बाद कार्यालय पर मौजूद लोगों को मिठाई बांटी। कहा कि किसान आंदोलन तभी समाप्त होगा जब संसद के अंदर यह बिल वापस हो जाएंगे। यह अभी हमारी अधूरी मांगे ही पूरी हुई है। जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार कानून नहीं बनाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस दौरान खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव राजीव शांत, चौधरी जगपाल सिंह यादव, राजेश शर्मा, चौधरी श्रीपाल, नन्हे पहलवान, श्रीराम, बागेश आदि रहे। वहीं भाकियू के जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में हुई बैठक में भी आंदोलन की समाप्ति एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही होने की बात कही गई।
बोले किसान
कृषि कानून से क्या नुकसान था और अब इसे वापस लेने से क्या फायदा होगा, यह आज तक हमारी समझ में नहीं आया। सरकार कुछ ऐसा करे, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरे। - वीरपाल सिंह यादव, गौटिया राजपुर कला
तीनों कृषि कानून वापस लेने का एलान कर सरकार ने यह जाहिर कर दिया है कि वह किसानों को लेकर कितना गंभीर है। किसानों को डीजल पर पूरी सब्सिडी मिलनी चाहिए। - कुंदनलाल कश्यप, बेहटा बुजुर्ग
आखिरकार सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा। कृषि कानून किसानों के हित में नहीं थे। जिसके विरोध में ही किसान संगठन के नेता आंदोलन कर रहे थे। सरकार ने देर ही सही लेकिन किसानों की समस्या सुनी।- हरप्रीत सिंह, फतेहगंज पूर्वी
कृषि कानून के नफा-नुकसान मैं नहीं जाना चाहता हूं, किसानों की समस्या समझकर उनका धरातल पर निदान होना चाहिए। सरकार किसानों को उनकी फसल का उचित रेट मिले इस पर काम करे।- डा. रजनीश गंगवार, बहेड़ी
कृषि कानून किसानों के हित में थे। विपक्ष इस मुद्दे पर सियासत कर रहा था। आंदोलन के पीछे उसका हाथ था। लेकिन किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने अपने कदम वापस लिए हैं। - श्यामवीर निवासी रजऊ परसपुर
कृषि कानून के विरोध में किसान लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे। सरकार ने इस कानून को वापस लेने का निर्णय लेकर किसान हित का कार्य किया है। सरकार को यह कार्य बहुत पहले ही कर देना था। - कपिल गंगवार, बीजामऊ
कृषि कानून किसानों के हित में नहीं थे। यदि इन्हें वापस नहीं लिया जाता तो किसानों को बड़ा नुकसान होता। तीनों कानून वापस लेने का फैसला ठीक है। किसान खुश है। - उमाशंकर, बीजामऊ
कृषि कानून रद होने से आम आदमी की रोटी पर पूंजीपतियों का कब्जा खत्म हो जाएगा। सरकार ने कृषि कानून को वापस लेकर किसानों को राहत जरूर दी है लेकिन डीजल और पेट्रोल के दामों में कमी करने की जरूरत है। - रामदास किसान, सतुइया
सरकार को कृषि कानून वापस लेने का निर्णय पहले ही ले लेना चाहिए था, इसमें काफी देर की गई। डीजल के दाम और कम किए जाएं, ताकि फसल की सिंचाई की लागत कम हो सके। - मोहनलाल किसान, गांव जगदीशपुर
सरकार ने कृषि कानून वापस लेकर ठीक काम किया। हालांकि हम छोटे किसानों को कानून बने या हटे, इससे इतना कोई खास फर्क नहीं पड़ता है, हमें तो डीजल, खाद व कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध हो तो राहत मिले। चौधरी प्रदीप सिंह किसान, नगरिया कला
कृषि कानून में कोई कमी नहीं थी। किसानों से उससे नुकसान की जगह फायदा होना था। प्रधानमंत्री ने कोई भी असंतुष्ट न रहे इसे देखते हुए तीनों कृषि कानून को वापस लिया है। - अनिल साहनी, प्रगतिशील किसान
तीनों कृषि कानूनों का वापस लेने का निर्णय यह बताता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक-एक किसान के प्रति समर्पित भाव से निरंतर कार्य कर रही है। जो कि कुछ किसान संगठनों का विरोध था उसके बाद यह निर्णय ले कर अब कोई किसान ऐसा नहीं बचा जो यह कह सके कि भाजपा किसानों के लिए समर्पित नहीं है। - डा. पंकज गंगवार, पूर्व क्षेत्रीय महामंत्री, भाजपा किसान मोर्चा ब्रज क्षेत्र
जनता समझ चुकी भाजपा के इरादे
महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय शुक्ला ने बताया कि तीनों कृषि कानून वापस किए जाने की घोषणा तो प्रधानमंत्री ने कर दी। लेकिन इस आंदोलन में गई सात सौ किसानों की जान के बारे में सरकार ने कोई सुध नहीं ली। प्रधानमंत्री का यह चुनावी फैसला है। जनता भाजपा के इरादे पूरी तरह से समझ चुकी है।
अभी आधी लड़ाई बाकी है
भाकियू के जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसले का स्वागत करते हैं। हालांकि इसमें काफी देरी कर दी है। अभी भी हमारी आधी लड़ाई बाकी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) पर कानून बनाए जाने की मांग पर कोई फैसला नहीं हो सका है।
हमारी लड़ाई अभी जारी रहेगी
किसान एकता संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. रवि नागर ने बताया कि हम प्रधानमंत्री के तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का स्वागत करते हैं। लेकिन, किसानों के मुद्दे अभी और भी हैं। एमएसपी पर कानून बनाने के बारे में पीएम ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। किसानों ने अन्य मुद्दों पर हमारी लड़ाई जारी रहेगी। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद की आगे का फैसला होगा।