Bareilly News: बरेली के बाजार में कहां गिरा था झुमका? सामने आई सुपरहिट गीत की सच्चाई, अमिताभ बच्चन के खानदान से सीधा नाता
Bareilly News हरिवंश राय बच्चन के एक पत्र दिखाते हुए पूनम सेवक कहती हैं कि वह बरेली कालेज में ही पढ़ाना चाहते थे। इसके लिए 16 मई 1939 को इलाहाबाद मुट्ठीगंज से एक पत्र लिखा। इसमें निरंकार देव से कुछ इस तरह कहा- बंधुवर तुम्हारा पत्र मिला।
पीयूष दुबे, बरेली : झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में। इस गीत की पृष्ठभूमि जिस मकान में तैयार हुई, वह सिविल लाइंस क्षेत्र में स्थित है। पहले यह लगभग 1000 वर्ग का होता था, लेकिन अब 150 वर्ग गज का रह गया है। यह घर साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के मित्र और प्रसिद्ध बालकवि निरंकार देव सेवक का था। वर्ष 1941 में हरिवंश राय काव्यपाठ के लिए यहां आए थे, तब इसकी घर में तेजी सूरी से मुलाकात हुई। कुछ दिन बाद दोनों का विवाह हुआ। इसके करीब 25 वर्ष बाद हरिवंश राय के मित्र गीतकार राजा मेहंदी हसन ने यह घटना याद करते हुए गीत लिखा।
बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की पुत्रवधु पूनम सेवक अब यहां रहती हैं। वह अपने स्वजन से सुनी बातों और हरिवंश राय की आत्मकथा का संदर्भ देकर कई किस्से बताती हैं। बोलीं, दिसंबर 1941 की बात है। उस वक्त लाहौर निवासी शिक्षक तेजी सूरी की सगाई हो गई थी, जिससे वह असहज थीं। ऐसे में रामपुर बाग निवासी और तेजी के कालेज की प्राचार्य प्रेमा जौहरी अपने साथ यहां ले आई थीं। वह चाहती थीं कि तेजी सूरी कुछ दिन यहां रहकर सामान्य हो जाएं। उसी समय पिताजी के पास मित्र हरिवंश राय काव्यपाठ के लिए आए थे। मंच पर निरंकार देव सेवक, प्रेमा जौहरी के पति आदित्य प्रकाश से उनकी मुलाकात हुई।
कार्यक्रम के बाद सभी प्रेमा जौहरी के घर बैठे थे। वहीं हरिवंश राय बच्चन और तेजी सूरी की पहली बातचीत हुई। दोनों का एक-दूसरे के प्रति हल्का झुकाव देख निरंकार देव ने 31 दिसंबर 1941 को अपने घर बुलाया। मेहमान और मेजबान साथ बैठे थे। रात को बातचीत के दौरान मेजबान उठकर चले गए। वहीं हरिवंश राय और तेजी की बातचीत चलती रही। रात का बहुत वक्त बीत गया। इसके बाद सुबह तेजी से शादी के संबंध में पूछा तो, वह बोलीं कि उनका झुमका तो बरेली में गिर गया। इस पर दोनों के बीच शादी का प्रस्ताव रखा। आखिर 24 जनवरी 1942 को तेजी और हरिवंश राय विवाह बंधन में बंध गए।
घर में रखे कई पत्र: निरंकार देव सेवक और हरिवंश राय बच्चन के बीच अक्सर पत्रों का आदान-प्रदान होता था। पूनम सेवक ने ऐसे लगभग 150 पत्र आज भी सहेजकर रखे हुए हैं। तेजी सूरी से मुलाकात के पहले और शादी के बाद भी हरिवंश राय लगातार इन्हीं के माध्यम से परिवार के हालचाल बताते थे।
बरेली कालेज में पढ़ाना चाहते थे बच्चन: हरिवंश राय बच्चन के एक पत्र दिखाते हुए पूनम सेवक कहती हैं कि वह बरेली कालेज में ही पढ़ाना चाहते थे। इसके लिए 16 मई 1939 को इलाहाबाद मुट्ठीगंज से एक पत्र लिखा। इसमें निरंकार देव से कुछ इस तरह कहा- बंधुवर, तुम्हारा पत्र मिला। बधाई के लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार करो। मैं प्रयाग नौ मई सवेरे पहुंचा। मुझे यह जानकार संतोष है कि मेरे गीतों से मेरे अतिरिक्त औरों को भी मनोविनोद होता है। श्री पंत जी (श्रीधर पंत) के सुपुत्र को भी मेरा धन्यवाद कह देना। प्यारेलाल गौड़ से मेरा परिचय नहीं है। कभी संभव हुआ तो मैं भी उनसे वायलिन पर अपने गीत सुनना चाहूंगा।
बरेली कालेज में शिक्षण कार्य के लिए विज्ञापन तो अभी नहीं निकला। निकले तो सूचित कर देना। मैं प्रार्थना पत्र भेज दूंगा। प्रयत्न करना, प्रोफेसर जौहरी (आदित्य प्रकाश) और तुम्हारे हाथ में है। मैं वहां किसी को जानता नहीं, जिन्हें जानता भी हूं उनसे इतनी आत्मीयता नहीं कि एहसान ले सकूं। मुझे कुछ पता नहीं कि जुलाई में कहां रहूंगा। मैं 16 तारीख को दिल्ली जा रहा हूं। गुरुकुल इंद्रप्रस्थ वालों ने कवि सम्मेलन में सभापति का पद ग्रहण करने का निमंत्रित किया है। वहां एक सप्ताह रुकूंगा, फिर अमृतसर जाने का विचार है। यहां आकर एकांत संगीत के और गीत लिख सका हूं। अब संख्या 62 पहुंच गई है। आजकल कुछ लिख रहे हो या नहीं ? अपने पिताजी को मेरा प्रणाम निवेदन कर देना। समाप्त करता हूं।
सस्नेह, तुम्हारा भाई, बच्चन
(उस समय हरिवंश राय बच्चन इलाहाबाद में अध्यापक कार्य कर रहे थे)