मतदान की तारीख पास आते ही चौक-चौराहों पर तेज हुई चुनावी चकल्लस, चाय की चुस्कियों के साथ हो रही चर्चा
पटेलनगर में चाय की दुकान पर चाय बनाते हुए रमेश ग्राहकों से बोले कि अब अखबार हो या चैनल हर जगह खबरों से ज्यादा चुनावी खबरें ही दिख रही हैं। उनका सिर्फ इतना कहना ही था कि चाय के साथ ही चुनावी चर्चा का माहौल भी गर्म होने लगा।
बरेली, जेएनएन। चुनावी तारीख निर्धारित और लगभग सभी मुख्य पार्टियों से प्रत्याशियों के सामने आने के बाद अब गली-गली में चाय की दुकानों से लेकर सड़क किनारे के लोग एक जुट होकर चुनावी चर्चा में मशगूल दिख रहे हैं। विधानसभा चुनाव में शहर की सीट का अधिकारी कौन होगा, लोगों ने सरकार के कार्यों के आधार पर गणित लगाना शुरू कर दिया है। शहर में चुनावी माहौल को जानने के लिए जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची तो कहीं लोग भाजपा तो कहीं सपा का राग अलापते हुए मिले।
पटेलनगर में चाय की दुकान पर चाय बनाते हुए रमेश ग्राहकों से बोले कि अब अखबार हो या कोई सा भी न्यूज चैनल हर जगह इधर-उधर की खबरों से ज्यादा चुनावी खबरें ही दिख रही हैं। उनका सिर्फ इतना कहना ही था कि चाय के साथ ही चुनावी चर्चा का माहौल भी गर्म होने लगा। यहां खड़े राज ने कहा कि प्रदेश स्तर पर क्या होगा इसका तो पता नहीं लेकिन, अपने शहर सीट पर भाजपा की जीत तो पक्की है। भाजपा की ही मेहरबानी है जो पांच सालों में शहर की सूरत बदली है। इसमें अब चाहें सड़कों का विकास हो या स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों को राहत की बात। उनकी बात को वजन देते हुए तारा सिंह ने बिना देरी किए कहा कि साहब उस पुल और एयरपोर्ट की भी तो बात करो, जिसके इंतजार करते-करते लोग थक चुके थे। भाजपा के कार्यकाल में विकास कार्यों की गिनाती क्या शुरू हुई यहां दस से पंद्रह मिनट में अन्य लोगों पर भी जैसे भगवा रंग चढ़ने लगा।
आगे बढ़े तो चौपला पुल के नीचे सपा प्रेमी और भाजपा प्रेमियों के बीच बहस छिड़ी हुई थी। नीरज मेहरोत्रा ने कहा कि भाईसाहब कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर को जिस तरह भाजपा सरकार ने काबू में लाने का काम किया उस तरह शायद ही कोई करने में सक्षम होता। अपने शहर की ही बात करो तो लाकडाउन में भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा कौन शहर में जरूरतमंदों को भोजन बांटता हुआ नजर आया। उनके इतना कहते ही श्यामलाल बोले कि सपा ने जहां लोगों को रोजगार देने का काम किया वहीं भाजपा ने सिर्फ लाकडाउन लगाकर रोजगार ही छीना। इसके अलावा जब वह सपा की अच्छाइयां न गिनवा सके तो बोले कि चलो छोड़ो सरकार बदलती रहनी चाहिए। उनके चुप होने की देरी ही थी कि अमित गिहार ने कहा कि शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर भाजपा ने अपनी गाड़ियों को सड़क पर उतारकर सिर्फ आटो-रिक्शा वालों का काम चौपट किया है।