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बरेली नगर निगम को जहां से मिलता हैै सबसे ज्यादा टैक्स वहीं पर हैं सबसे ज्यादा समस्याएं, न सीवर लाइन पड़ी आज तक और न ही सड़कें बनीं

नगर निगम के 80 वार्डों में से सबसे अधिक टैक्स देने वाला वार्ड 67 आवास विकास आज भी अन्य वार्डों की अपेक्षा अपने को काफी पीछेे समझता है। दैनिक जागरण की ओर से शहर के वार्ड 67 का दौरा कर वहां की व्यव्स्थाओं का जायजा लिया गया।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 04:46 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 04:46 PM (IST)
बरेली नगर निगम को जहां से मिलता हैै सबसे ज्यादा टैक्स वहीं पर हैं सबसे ज्यादा समस्याएं, न सीवर लाइन पड़ी आज तक और न ही सड़कें बनीं
टैक्स देने के बाद भी पिछड़ा महसूस करता है आवास विकास।

बरेली, जेएनएन। नगर निगम के 80 वार्डों में से सबसे अधिक टैक्स देने वाला वार्ड 67 आवास विकास आज भी अन्य वार्डों की अपेक्षा अपने को काफी पीछेे समझता है। दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे जागरण आपके द्वार कार्यक्रम के तहत शहर के वार्ड 67 का दौरा कर वहां की व्यव्स्थाओं का जायजा लिया तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमन पर दिखा। लोगों का कहना था कि वार्ड में सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन समस्याओं के अंबार लगे हुए हैं। जिधर देखो उधर समस्याएं फैली हुई हैं। वार्ड में सीवर लाइन के साथ ही सड़कों का न होना सबसे बड़ी समस्या है।

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सीवर लाइन न होने के कारण न तो गंदे पानी की निकासी हो रही है और न ही सफाई व्यवस्था सुचारू है। लोगों का कहना है कि बार-बार संबंधित विभागों के अधिकारियों को शिकायत भी की जा चुकी हैं। लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।पार्क में फैली गंदगी नगर निगम को नहीं दिखतीराजेंद्र नगर में टूटी सड़के जहां से शुरू हो जाए समझ लीजिए की वार्ड 67 शुरू हो गया है। इस वार्ड की मुख्य सड़कों से लेकर गलियां तक टूटी हुई हैं। वार्ड का गुलमोहर पार्क समेत अन्य कई पार्कों में लोगों ने चट्टे बना रखे हैं। जहां पर गोबर सड़ रहा है। जिससे कि मच्छरों के साथ ही अन्य घातक बीमारियों के फैलने की पूरी संभावना बनी हुई है। कई बार शिकायतों के बाद भी यहां कोई सुनवाई नहीं हो रही है।2017 में पास सड़क का पैसा खर्च, नहीं बनी सड़कवार्ड के झूलेलाल प्रवेश द्वार से स्वयंवर बारातघर तक 2017 में ढाई करोड़ रुपये की सड़क स्वीकृति हुई थी। जिसे बनाने की जिम्मेदारी बीडीए को दी गई थी, लेकिन आज तक यह बन नहीं सकी। बीडीए ने केवल पत्थर डालकर खानापूर्ति कर दी। जिसमें लोग आए दिन गिरा करते हैं। पूछे जाने पर इस रोड का पैसा कहीं और खर्च किए जाने की बात कही जा रही है। जबकि पत्राचार में बीडीए कोई संतुष्ट जवाब नहीं दे रहा है।


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