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आतंकी फंडिंग : परतापुर चौधरी बोला कोई मुझे भी तो बताए यहां क्या हुआ Bareilly News

मैं परतापुर चौधरी हूं। कल तक यहां खिलखिलाहट की आवाजें थीं लोगों की चर्चाओं का शोर था लेकिन अचानक पुलिसिया सायरन और अजनबी लोगों की चहल कदमी ने मेरे अपनों की बोलती बंद कर दी है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 05:52 PM (IST)
आतंकी फंडिंग :  परतापुर चौधरी बोला कोई मुझे भी तो बताए यहां क्या हुआ Bareilly News
आतंकी फंडिंग : परतापुर चौधरी बोला कोई मुझे भी तो बताए यहां क्या हुआ Bareilly News

जेएनएन, बरेली : मैं परतापुर चौधरी हूं। कल तक यहां खिलखिलाहट की आवाजें थीं, लोगों की चर्चाओं का शोर था, लेकिन अचानक पुलिसिया सायरन और अजनबी लोगों की चहल कदमी ने मेरे अपनों की बोलती बंद कर दी है। सुबह से न कोई चर्चा करने को इकट्ठा हुआ, न ही कोई खिलखिलाता नजर आया। हर कोई कानाफूसी करता दिख रहा है। दरवाजे की सांस और खिड़की से झांकते लोग दहशत में नजर आ रहे हैं। यह हुआ क्या, कोई मुङो भी तो बताए।

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गांव परतापुर चौधरी में शनिवार को हालात कुछ ऐसे ही थे। यहां बच्चों के बाहर निकलने पर पाबंदी तो नहीं, लेकिन दूर तक जाने की इजाजत भी नहीं। यह सब शुरू हुआ शुक्रवार से जो शनिवार को ग्रामीणों को आशंकित करने लगा। पुलिस को जानकारी मिली थी कि लखीमपुर में तीन ऐसे लोग पकड़े गए हैं जो नेपाल और भारत की करेंसी को आतंकियों तक पहुंचाने का काम करते हैं। पकड़ने के बाद इन तीनों ने तो खुद को मोहरा बताया और बरेली के सदाकत अली, फईम और सिराजुद्दीन को पूरे खेल का मुखिया बता दिया। यहीं से पुलिस और एटीएस की नजरें बरेली के परतापुर चौधरी पर टिक गईं। शुक्रवार शाम से ही परतापुर में पुलिस की आवाजाही शुरू हो गई। एटीएस व खुफिया विभाग के लोग भी गांव पहुंचे। कोई भी अजनबी या नया चेहरा गांव में पहुंचता तो लोगों की नजरें उसी पर गड़ी होतीं। हर कोई जानना चाहता था कि यह इंसान क्यों और किसके लिए आया है।

 भारत-नेपाल सीमा पर पकड़े गए आतंकी फं¨डग के चारों आरोपित अपने काम को बखूबी अंजाम दिया करते थे। एक दिन पहले पुलिस के हत्थे चढ़े शातिरों से हुई पूछताछ में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। नेपाल के जिन बैंक खातों में आतंकियों को पहुंचाई जाने वाली रकम ट्रांसफर की जाती थी, उसका इस्तेमाल केवल एक ही बार होता था। इतना ही नहीं इस बात का भी ख्याल रखा जाता था कि लेन-देन करने वाला शख्स समुदाय विशेष का न हो।

पुलिस के मुताबिक नेपाल में पिछले दस साल से रह रहे मुमताज ने वहीं पर अपने दो साथी और बुला लिए थे। फहीम और सदाकत नाम के ये आरोपित केवल उस खाताधारक की तलाश किया करते थे, जिनमें विदेश से नेपाली बैंक में रकम मंगाई जा सके। साथ ही जल्द निकाल भी लें ताकि उसे महफूज ठिकाने तिकुनिया तक पहुंचा दें। यहां से उसे भारतीय मुद्रा बनाकर दिल्ली में दहशतगर्दी के गुनाहगारों तक पहुंचाया सके। नेपाल में मुमताज के साथी फहीम और सदाकत फर्नीचर बनाने व नाईगीरी का काम भी करते थे 

 टेरर फं¨डग में पकड़े गए चारों आरोपितों से हुई पूछताछ में कई बातें व तथ्य अभी सामने आना बाकी है। सोमवार तक अहम सुराग पता चल सकते हैं। उसके बाद ही पता चल सकेगा कि इन्होंने अब तक भारत-नेपाल के पोरस बॉर्डर से कितनी रकम दिल्ली में संदिग्ध लोगों तक पहुंचाई है।

-पूनम, एसपी लखीमपुर


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