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पबजी गेम नहीं अब सेहत पर ध्यान दे रहे किशोर, कसरत करके शरीर को बना रहे तंदरुस्त

देश में पबजी गेम्स पर प्रतिबंध लगने के बाद बच्चे चाहे खुश न हों लेकिन उनके माता-पिता काफी खुश नजर आ रहे हैं। गेम बंद होने से बच्चे अन्य कामों में समय दे रहे हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 11:08 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 05:54 PM (IST)
पबजी गेम नहीं अब सेहत पर ध्यान दे रहे किशोर, कसरत करके शरीर को बना रहे तंदरुस्त
पबजी गेम नहीं अब सेहत पर ध्यान दे रहे किशोर, कसरत करके शरीर को बना रहे तंदरुस्त

बरेली, जेएनएन : देश में पबजी गेम्स पर प्रतिबंध लगने के बाद बच्चे चाहे खुश न हों लेकिन उनके माता-पिता काफी खुश नजर आ रहे हैं। गेम बंद होने से बच्चे अन्य कामों में समय दे रहे हैं। सबसे खास बात कि कई बच्चों ने तो सेहत पर ही ध्यान देना शुरू कर दिया है। किशोरों ने सुबह टहलने के साथ ही जिम जाना भी शुरू कर दिया है। वैसे भी कोविड के दौरान अच्छी सेहत उनकी प्राथमिकता का हिस्सा बन गई है।

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पबजी खेलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। इसे खेलने वाले अधिकतर किशोर ही थे। गेम की लत इस कद्र हावी हो गई थी कि आधी-आधी रात तक उनके गेम ही चलते रहते थे। एक बार में चार बच्चों का ग्रुप पबजी खेल पाने के कारण चारों घंटों उसे खेलते रहते। इस गेम के चक्कर में बच्चों की पढ़ाई भी चौपट हो रही थी। इन्हीं कारणों के चलते सरकार ने देश में इस गेम पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके बाद बच्चों ने अपना समय अन्य कामों में लगाना शुरू किया है। कोविड काल के चलते कई बच्चे अब अपने सेहत सुधारने में जुट गए हैं।

जिम जा रहे, घर में कर रहे कसरत

घंटों पबजी खेलने में व्यस्त रहने वाले किशोरों ने अब जिम जाना भी शुरू कर दिया है। शरीर मजबूत बनाने के लिए कइयों ने घर पर ही कसरत शुरू कर दी है। एक्सरसाइज का सामान घर ले आए हैं। सुबह उठकर दौडऩा और व्यायाम करना भी अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। अब वह रात-रात तक गेम खेलने के लिए नहीं जाग रहे हैं।

घर के कामों में भी बंटा रहे हाथ

रात को समय पर सोने और सुबह जल्दी उठने की दिनचर्या अब बच्चों ने बना ली है। इस कारण वे दिन भर खुद को तरोताजा भी महसूस करने लगे हैं। घंटों गेम में लगे रहने के कारण परिवार वालों को समय नहीं दे पाने वाले किशोर अब घर के कामों में भी हाथ बंटा रहे हैं। उनकी बदली जीवनशैली से परिवार के अन्य लोग खुश हैं।

कुछ बच्चों ने तलाश लिए अन्य गेम

पबजी बंद होने के बाद तमाम बच्चों ने अपना मन समय बर्बाद करने वाले गेमों से हटा दिया है, लेकिन कई बच्चों ने पबजी के विकल्प तलाश लिए हैं। वह अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहे। कई बच्चों ने अपने मोबाइल पर सीओडी (कॉल ऑन ड्यूटी), फ्री-फायर जैसे गेम डाउनलोड कर लिए हैं। इन गेम में घंटो बिता रहे हैं।

युवाओं से बातचीत

- जहां एक्सरसाइज करने के लिए जाते हैं, वहां कुछ बच्चे और आए हैं। बताते हैं कि पहले पबजी खेलने में घंटों बीत जाते थे। रात को सो नहीं पाते थे। अब सुबह जल्दी उठ रहे हैं।

प्रखर कुमार सक्सेना

- कुछ दोस्त हैं, जिन्हें पबजी खेलने की काफी लत थी। उनसे कई बार मना किया लेकिन नहीं माने। अब जब गेम ही बंद हुआ तो सुधरे। अक्सर सुबह दौड़ते वक्त मिल जाते हैं।

पंकज आर्य

क्‍या कहते है मनाेव‍िज्ञानी    

ऑनलाइन गेम की भी लत भी बीमारी है और इससे दूर होने के लिए दस से 15 दिन का समय चाहिए। अगर बच्चे को तत्काल दूसरे कामों में लगा दिया जाए, मसलन गाना-बजाना सीखना, स्वीङ्क्षमग या फिर कुछ और, वह जल्दी ठीक हो सकता है। अगर किसी बच्चे में दिक्कत ज्यादा है तो मोटिवेशनल इनहेसमेंट थेरेपी से ठीक हो सकता है।

डॉ. आशीष कुमार, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल


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