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शिक्षक नेताओं को अखिलेश के पुरानी पेंशन बहाली के वादे पर भरोसा नहीं, कहा- यह सिर्फ चुनावी दांव

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री मुनेश कुमार अग्निहोत्री इसे सिर्फ चुनावी घोषणा मानते हैं। कहा कि केंद्र में 2004 में अटल सरकार के समय एनपीएस लागू हुआ। इसके बाद सबसे पहले यह उत्तर प्रदेश में यह लागू हुआ और उस समय मुलायम सिंह यादव की सरकार थी।

By Ravi MishraEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 05:21 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 05:21 PM (IST)
शिक्षक नेताओं को अखिलेश के पुरानी पेंशन बहाली के वादे पर भरोसा नहीं, कहा- यह सिर्फ चुनावी दांव
ऐसे में अखिलेश यादव की घोषणा से उम्मीद जगी है।

बरेली, जेएनएन। पुरानी पेंशन बहाली का सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने राग का क्या छेड़ा शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों के बीच इस घोषणा से उम्मीदें जाग उठीं। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक और कर्मचारी की भी हैं, जो इसे सिर्फ चुनावी घोषणा मान रहे हैं। शिक्षक नेताओं का कहना है कि अभी तक राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे से दूरी बना रखी थी। ऐसे में अखिलेश यादव की घोषणा से उम्मीद जगी है।

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उनका कहना है कि हालांकि मुलायम सिंह यादव के समय में ही नई पेंशन लागू हुई थी। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री मुनेश कुमार अग्निहोत्री इसे सिर्फ चुनावी घोषणा मानते हैं। मुन्नेश का कहना है कि केंद्र में 2004 में अटल सरकार के समय एनपीएस लागू हुआ। इसके बाद सबसे पहले यह उत्तर प्रदेश में यह लागू हुआ और उस समय मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। इसके अलावा 2016 में अखिलेश यादव सरकार में आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज में शिक्षक की मौत हो गई थी। पुरानी पेंशन बहाली की मांग लंबे समय से की जा रही है। इतने समय से शिक्षकों के साथ ही अन्य विभागीय कर्मचारियों की फिक्र किसी को नहीं हुई लेकिन, अब चुनावी उद्घोषणा के बाद इस तरह के दावे करना उनके द्वारा सिर्फ दावं-पेंच खेलने को दर्शाता है।

शिक्षकों की सुरक्षा की मांग: विधान सभा चुनाव में शिक्षकों और कर्मचारियों की ड्युटी लगाए जाने के संबंध में शिक्षक नेताओं ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र भेजकर कोरोना संक्रमण से उनकी सुरक्षा की मांग की है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से भेजे पत्र के अनुसार शिक्षकों का कहना है कि संक्रमण के मामलों में हर रोज वृद्धि हो रही है। पिछली बार भी महामारी की दूसरी लहर में पंचायत चुनाव कराए गए थे। इस दौरान ड्युटी में लगे सैकड़ों शिक्षकों को जान से हाथ धोना पड़ा था। संगठन की ओर से मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भेजे पत्र में शिक्षकों ने कहा कि मतदान प्रक्रिया में पोलिंग पार्टी के कर्मचारियों के प्रशिक्षण स्थल, पोलिंग पार्टियों के मतदान केंद्रों के लिए रवानगी स्थल पर पहुंचने व मतगणना स्थलों पर भीड़ होती है। ऐसें में कोविड प्रोटोकाल का पालन सुनिश्चित कराने की मांग की है। पोलिंग पार्टियों की बसों में कोविड गाइडलाइन के अनुसार ही लोगों को बैठाने और रवानगी के लिए ट्रकों का प्रयोग नहीं करने के लिए कहा गया है। शिक्षक नेता हरीश बाबू शर्मा ने बताया कि मतदान के लिए समुचित व्यवस्था न होने के कारण निर्वाचन ड्यूटी में लगे शिक्षक अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते। इस समस्या को देखते हुए उनके लिए ब्लाक या तहसील मुख्यालय पर ही मतदान की व्यवस्था हो। ताकि शत प्रतिशत कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।


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