ताजियेदारों ने किया पांच घंटे लखनऊ हाईवे जाम
खजुरिया से ताजिये निकालने को लेकर सुबह शुरू हुए विवाद ने शाम होते-होते बड़े हंगामे का रूप ले लिया।
जागरण संवाददाता, बरेली: खजुरिया से ताजिये निकालने को लेकर सुबह शुरू हुए विवाद ने शाम होते-होते बड़े हंगामे का रूप ले लिया। दिन में पुलिस ने खजुरिया व कलारी का विवाद तो सख्ती से निपटा लिया लेकिन, मोहनपुर का जुलूस नकटिया चौकी पर यह कहते हुए रुक गया कि जब तक कलारी के ताजिये उमरिया में दफन नहीं होंगे वे आगे नहीं बढ़ेंगे। इसके बाद तनाव बढ़ता चला गया। बाद में हरुनगला व परसौना के ताजिये भी आ गए। हजारों की भीड़ ने दिल्ली-लखनऊ हाईवे जाम कर दिया। भड़काऊ नारेबाजी शुरू कर दी। कई घंटों तक पुलिस अधिकारी समझाते रहे लेकिन भीड़ उग्र बनी रही। अफसरों ने भी सख्त रुख नहीं छोड़ा। आरएएफ समेत भारी फोर्स जुटा लिया। लाठीचार्ज की नौबत आ ही गई थी लेकिन, आखिरी क्षणों में भीड़ छंट गई। लोग अपने-अपने ताजिये लौटा कर ले गए।
ऐसे हुई विवाद की शुरुआत
पहले से संवेदनशील खजुरिया गांव में प्रशासन का प्लान फेल होता दिखा। सुबह कलारी का मुहर्रम का जुलूस निकालने को लेकर विवाद भड़क गया। दूसरे पक्ष की भारी भीड़ सड़कों पर उतर आई। यह कहते हुए अड़ गई कि खजुरिया से नहीं गुजरने देंगे। ट्रैक्टर-ट्राली लगाकर रास्ते तक जाम कर दिए। जैसे-तैसे पुलिस ने कलारी के ताजियेदारों को मनाकर विवाद निपटा दिया। सख्ती भी दिखाई। लाठीचार्ज करके लोगों को खदेड़ दिया। जेसीबी से ट्रैक्टर उलट दिए। लाठीचार्ज की सूचना पर भाजपा विधायक पप्पू भरतौल भी पहुंचे। विवाद निपटा देख वापस लौट गए।
शाम को सुलग उठा नकटिया
कलारी में ताजिये दफन कराकर प्रशासन ने राहत की सांस ली। शाम को करीब साढ़े छह बजे कैंट के मोहनपुर गांव से मुहर्रम का जुलूस निकलना शुरू हुआ। जुलूस जैसे ही नकटिया चौकी पर पहुंचा, भीड़ ने ताजिये रखकर दिल्ली-लखनऊ हाईवे जाम कर दिया। खबर आग की तरह फैली तो कुछ ही देर में परसौना और हरुनगला से चला जुलूस भी हंगामा में शामिल हो गया। भीड़ का कहना था कलारी गांव के ताजिये प्रशासन ने दफन नहीं होने दिए हैं, जो उमरिया में दफन होते हैं। जब तक कलारी के ताजिये दफन नहीं होंगे वह अपने ताजिये नहीं उठाएंगे। बस इसी बात को लेकर भीड़ बेकाबू होने लगी। सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए।
मौके पर दौड़ा अमला
हाईवे जाम की खबर लगते ही डीएम, एसएसपी, एडीएम, एसपी सिटी, एसपी ट्रैफिक, एसडीओ समेत कई थानों का फोर्स मौके पर पहुंच गया। पीएसी, आरएएफ भी बुला ली गई। अधिकारियों ने कई चरणों में ताजियेदारों से बातचीत की। उन्हें समझाने का प्रयास किया कि कलारी में कोई विवाद नहीं है। वहां के ताजिये दफन हो गए हैं। भीड़ मानने को तैयार नहीं थी। तकरीबन चार घंटे तक रुक-रुक कर बातचीत का दौर चलता रहा।
प्रशासन ने दिखाई सख्ती
बात न बनते देख आखिरकार पुलिस-प्रशासन ने लाठीचार्ज की रणनीति तैयार की। भारी संख्या में पुलिस फोर्स देखकर भीड़ के तेवर शांत हो गए। लिहाजा वह अपने-अपने ताजिये वापस ले जाने को राजी हो गए। रात 11.30 बजे ताजिये शांतिपूर्ण ढंग से लौट गए।