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Tantra Ke Gan : खेती से निकली स्वरोजगार की राह से बरेली की महिलाओं ने बदली सोच, बेच डाली डेढ़ करोड की पौध

Tantra Ke Gan मंडल की एक हजार महिलाओं ने अपने भविष्य का रास्ता खुद तैयार किया। चौखट से बाहर निकलीं और खेती के जरिये स्वरोजगार शुरू कर दिया। शुरूआती चरण में 10 महिलाओं ने ऐसा किया। इसके बाद बाकी के लिए स्वरोजगार का रास्ता बना लिया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 12:20 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 12:20 PM (IST)
Tantra Ke Gan : खेती से निकली स्वरोजगार की राह से बरेली की महिलाओं ने बदली सोच, बेच डाली डेढ़ करोड की पौध
खेती से निकली स्वरोजगार की राह से बरेली की महिलाओं ने बदली सोच, बेच डाली डेढ़ करोड की पौध

बरेली, अंकित शुक्ला। Tantra Ke Gan : मंडल की एक हजार महिलाओं ने अपने भविष्य का रास्ता खुद तैयार किया। चौखट से बाहर निकलीं और खेती के जरिये स्वरोजगार शुरू कर दिया। शुरूआती चरण में 10 महिलाओं ने ऐसा किया। इसके बाद बाकी के लिए स्वरोजगार का रास्ता बना लिया। अब ये सभी 90 स्वयं सहायता समूह के जरिये बड चिप और सिंगल बड चिप विधि से पौध तैयार कर बेच रहीं हैं। कृषि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि ये महिलाएं अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपये की पौध बेच चुकी हैं।

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इस बार मंडल में 36,044 हेक्टेयर में ट्रैच विधि से गन्ना की बुवाई होनी है। इसके लिए पौध मंडल में तैयार करने का लक्ष्य गन्ना विभाग को मिला है। इन महिलाओं को प्रति पौधा तीन रुपये मिलते हैं। इसमें से डेढ़ रुपये गन्ना विभाग और डेढ़ रुपया पौध खरीदने वाला किसान देता है। पौध तैयार करने में आई लागत निकालकर प्रति पौधा 50 पैसे से एक रुपये तक का मुनाफा हो रहा है। इस कार्य से महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ ही वे आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रही हैं।

मिला रोजगार और आर्थिक लाभ : गुरसौली बहेड़ी के अन्नपूर्णा महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कुसुम, पूनम कहती हैं कि वे महिलाओं के साथ मिलकर गन्ना पौध तैयार करता हैं। इससे उन्हें सीजनल रोजगार भी मिल रहा है। तीन रुपये प्रति गन्ना पौध बिक जाती है और पैसा बैंक खाते में प्राप्त होता है।

बीज बचने के साथ पैदावार भी दोगुनी : नगदी फसल के रूप में जाना जाने वाला गन्ना अब महिलाओं के लिए स्वाबलंबन का जरिया बन चुका है। बड चिप प्रक्रिया से एक गन्ने से औसतन 18 से 20 पौधा तैयार होते हैं। इससे गन्ने के बीज में बचत होती है। साथ ही पैदावार भी बढ़ती है। कोकपिट के साथ ट्रे, वर्मी कंपोस्ट, व कुछ दवाओं आदि का खर्च निकालने के बाद भी महिलाओं को बचत हो रही है।

ऐसे तैयार होती है गन्ने की पौध : गन्ने की आंख को एक यंत्र से निकालकर ट्रे में कोकोपिट में लगाते हैं। इसे पौध तैयार करने की बड चिप विधि कहा जाता है। सिंगल बड में गन्ने की आंख वाला छोटा टुकड़ा काटकर ट्रे में रोपा जाता है। इससे रोग और कीटों के प्रकोप रहित गन्ना पौध तैयार होती है।

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं प्रशिक्षण के बाद गन्ने की पौध तैयार करती हैं। प्रति पौध करीब 50 पैसे से एक रुपये की उन्हें बचत हो जाती है। भुगतान सीधा महिलाओं के बैंक खातों में होता है। - पीएन सिंह, जिला गन्ना अधिकारी  


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