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सेना में चयन नहीं हुआ तो जैविक खेती करके मनवाया लोहा

इंसान में अगर हौसला और कुछ करने की चाह हो तो वह हर क्षेत्र में खुद को साबित कर सकता है। नवाबगंज के रहने वाले सर्वेश सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 08:22 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 08:22 PM (IST)
सेना में चयन नहीं हुआ तो जैविक खेती करके मनवाया लोहा
सेना में चयन नहीं हुआ तो जैविक खेती करके मनवाया लोहा

बरेली, जेएनएन। इंसान में अगर हौसला और कुछ करने की चाह हो तो वह हर क्षेत्र में खुद को साबित कर सकता है। नवाबगंज के रहने वाले सर्वेश सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते थे लेकिन जब उनका सेना में चयन नहीं हुआ तो उन्होंने जैविक खेती करने की शुरुआत की। आज वह जैविक खेती करके अपने उत्पादों को दुगुने दाम पर बेच रहे हैं। खास बात यह है कि अब वह एफपीओ ( किसान उत्पादक समूह) के जरिए कंपनी बनाने जा रहे हैं।

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नवाबगंज के ग्रेम गांव के रहने वाले सर्वेश का सपना सेना में जाकर देश सेवा करने का था। तीन साल उन्होंने इसके लिए तैयारी भी की। मेडिकल में हो भी गया लेकिन लिखित परीक्षा में पास न होने पर उनका चयन नहीं हो सका। बाद में उन्हें बताया गया कि राष्ट्रपति सेना का सेनाध्यक्ष होता है तो उन्होंने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी कि उनका चयन में सेना में कर लिया जाए और वह पूरी जिदंगी बिना वेतन के देश सेवा करेंगे। हालांकि जब जवाब नहीं आया तो उन्होंने बाहर न जाकर गांव में ही कुछ करने की ठानी।

ऐसे में उनके गांव में खुले विज्ञान क्लब केंद्र ने उन्हें राह दिखाई। यहां पर आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने उन्हें जैविक खेती के बारे में बताया। घर में 36 बीघा जमीन थी। इसलिए उन्होंने गन्ने और सब्जी की जैविक खेती से शुरुआत की। उन्होंने बताया कि उन्होंने गन्ना करके उससे आर्गेनिक गुड़ बनाया। शुद्धता के चलते इसकी डिमांड थी। ऐसे में सामान्य गुड़ की अपेक्षा इसको उन्होंने दुगुना दाम पर बेंचा। इसके साथ उन्होंने जैविक सब्जियां भी उगाई। उन्होंने बताया कि तेल की डिमांड काफी ज्यादा है। ऐसे में उन्होंने सरसों की जैविक खेती की।

इसके बाद जब उन्होंने उसका तेल बनाकर बेंचा तो यहा 120 की जगह पर 150 रुपये में बिका। पहले उन्होंने कुछ खेत में ही इसको उगाया लेकिन अब इन फसलों को वह पूरे 36 बीघे में कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब बड़े स्तर पर मार्केट में इन फसलों के उत्पाद को उतारने के लिए वह एफपीओ के जरिए कंपनी बना रहे हैं। जिसमें उनके अलावा दूसरे किसान भी रहेंगे और फिर हम अपने उत्पादों को ब्रांड बनाकर बड़े स्तर पर बाजार में उपलब्ध कराएंगे।

लोग पैसे देने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें इस बात का विश्वास दिलाना पड़ेगा कि आप जो दे रहे हैं वह शुद्ध है। यही वजह है कि लोगों ने आर्गेनिक गुड़ को दुगुने दाम पर मुझसे खरीदा।

सर्वेश कुमार, किसान


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