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पैरों की नसों के थक्के मुश्किल में डाल देंगे जिंदगी

कैंट के साईं स्टेडियम में नेशनल हॉकी खिलाड़ी विनोद रावत की मौत का कारण अचानक हृदय गति रुकना माना जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 03:01 AM (IST)
पैरों की नसों के थक्के मुश्किल में डाल देंगे जिंदगी
पैरों की नसों के थक्के मुश्किल में डाल देंगे जिंदगी

जागरण संवाददाता, बरेली : कैंट के साईं स्टेडियम में नेशनल हॉकी खिलाड़ी विनोद रावत की मौत का कारण अचानक हृदय गति रुकना माना जा रहा है। एक खिलाड़ी की एक्सरसाइज के दौरान अचानक मौत से सभी हतप्रभ हैं, वहीं डॉक्टरों का मानना है कि ऐसा लाखों में किसी एक के साथ ही होता है। ऐसे मामले में खिलाड़ियों के पैरों की नसों में जमा खून के थक्का उनके दिल या फिर दिमाग या फेफड़ों में भी जा सकते हैं। उस वक्त मरीज को बचाना मुश्किल होता है। इस तरह की घटना कही भी हो सकती है। इससे बचने के लिए सतर्क रहने के साथ ही खानपान दुरुस्त रखने और नियमित व्यायाम करने की जरूरत है।

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खिलाड़ियों के पैरों की नसों में जम जाते हैं थक्के

विशेषज्ञों के अनुसार खिलाड़ियों और नियमित तरीके से दौड़-भाग करने वालों के पैरों में अक्सर खून के थक्के जम जाते हैं। यह थक्के जब खून के बहाव के साथ शरीर के अन्य किसी अंगों में पहुंचते हैं तो यह खतरनाक हो जाते हैं, लेकिन यह स्थिति लाखों में किसी एक मामले में ही देखने को मिलती है।

कही भी पहुंच सकता है थक्का

पैरों की नसों में जमा खून का थक्का तेज बहाव में दिल, दिमाग या फिर फेफड़ों में पहुंच जाता है। दिल में थक्का पहुंचने पर अचानक हृदयगति रुक जाती है। वही, दिमाग पर थक्का पहुंचने पर व्यक्ति फालिज का शिकार हो जाता है। अगर यह थक्का फेफड़ों में पहुंच जाए तो पलमोनरी एम्बोलिज्म (एक तरह का निमोनिया) हो जाता है। तीनों ही स्थिति खतरनाक हैं।

नियमित व्यायाम करना जरूरी

वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. सुदीप सरन के अनुसार नियमित व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। पैरों में थक्का लाखों में किसी एक के ही जमता है। इससे बचने के लिए पैरों की मसल्स की नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए। चिकनाई युक्त व तले-भुने भोजन से परहेज करना चाहिए। मांस-मदिरा का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।

ऐसा लगे तो हो जाएं सावधान

अगर किसी को पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन, चीटियां सी काटने लगें तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके साथ ही अगर पैर को छूने पर उसे एहसास नहीं हो तो भी स्थिति गंभीर हो सकती है। इसकी डॉप्लर जांच कराने की जरूरत पड़ती है।


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