बरेली में 42 जगह पराली जलती मिली
शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 300 पार हो चुका है। यानी जहरीली होती हवा में हम सांस लेने को मजबूर हैं। वजह धूल और धुआं नजर आते हैं। लेकिन हाल में बढ़े प्रदूषण के पीछे पराली भी अहम कारक है।
बरेली, जेएनएन : शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 300 पार हो चुका है। यानी जहरीली होती हवा में हम सांस लेने को मजबूर हैं। वजह धूल और धुआं नजर आते हैं। लेकिन हाल में बढ़े प्रदूषण के पीछे पराली भी अहम कारक है। सिर्फ बरेली ही नहीं, उत्तराखंड की तरफ जलने वाली पराली का असर भी सीमावर्ती जिले पर है। बीते 39 दिनो में बरेली में ही 42 जगह पर पराली जलती मिली है। चिता तब और बढ़ जाती है जबकि दीपावली नजदीक है। ऐसे में कहीं आतिशबाजी और पराली का धुआं और धुएं का कॉकटेल कहीं शहर को गैस चेंबर न बना दे। प्रशासन के इंतजाम नाकाफी
जिन 42 जगह पराली जलाने के मामले सामने आए। उनमें से 16 किसानों पर एफआइआर और 13 लेखपालों को चेतावनी दी गई है। सदर तहसील में एक लाख रुपये बतौर जुर्माना वसूला गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए करीब 26.6 टन पराली को गोवंशीय पशुओं के लिए भिजवाया गया। जिले की 16 ग्राम पंचायतों को प्रभावित माना गया। बावजूद इसके लगातार पराली जलने के मामले सामने आए। यानी प्रशासन के इंतजाम नाकाफी रहे। बदलता मौसम, हवा का ठहराव, प्रदूषण की लेयर ठहरी
प्रदूषण को लेकर मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह का कहना है कि हवाका ठहराव, पारे का नीचे गिरना और बदलते मौसम से प्रदूषण की लेयर हवा में ऊपर नहीं जा रहा है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि अगले एक हफ्ते बारिश होने के आसार नहीं है। अधिकतम तापमान 28-29 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। जबकि न्यूनतम तापमान 12-13 डिग्री सेल्सियस रहेगा। 15 अक्टूबर के बाद तापमान में तेजी से गिरावट आएगी।