Education : बच्चों को पसंद आ गया मैडम का स्टोरी बॉक्स वाला आइडिया
छात्रों का विकास काफी हद तक शिक्षकों पर निर्भर होता है। योग्य शिक्षक छात्रों को रुचिपूर्ण तरीके से शिक्षा देते हैं। वर्तमान में शिक्षण कार्य केवल किताबों तक ही सिमट कर रह गया है।
बरेली, [अखिल सक्सेना]। छात्रों का विकास काफी हद तक शिक्षकों पर निर्भर होता है। योग्य शिक्षक छात्रों को रुचिपूर्ण तरीके से शिक्षा देते हैं। वर्तमान में शिक्षण कार्य केवल किताबों तक ही सिमट कर रह गया है। इसमें तमाम छात्र पीछे रह जाते हैं। ऐसे में परिषदीय स्कूल की इस शिक्षिका ने बच्चों को पढ़ाने के लिए स्टोरी बॉक्स का कॉन्सेप्ट तैयार किया है। यानी बच्चों को कुछ भी सिखाना है तो उसके लिए एक कहानी तैयार। रंगों की पहचान से लेकर किस रंग को मिलाने से कौन सा रंग बनता है, यह बच्चे खेल-खेल में सीख जाते हैं।
हम बात कर रहे हैं फरीदपुर ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल सराय गौटिया की सहायक अध्यापिका ऋचा सिंह की। वह अब तक गणित, अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान की पांच स्टोरी तैयार कर चुकी हैं। छठवीं पर काम कर रही हैं। शिक्षिका बताती हैं कि 2015 में प्राइमरी स्कूल में तैनाती मिली तो कक्षा पांच को पढ़ाना शुरू किया। फिर कक्षा एक में बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला। छोटे बच्चों को समझाने में काफी समय लगता है। इसलिए उनके स्टडी मैटीरियल को कहानी के रूप में डेवलप करना शुरू कर दिया है। गिनती, रंग हों या सप्ताह के नाम। इसके लिए कहानी और कैरेक्टर तय कर दिए हैं।
बच्चों को ही उसमें पात्र बना दिया। इससे बच्चे बहुत जल्द सीखने लगे। अब नए सत्र के लिए क्लास में स्टोरी बॉक्स बना रखा है। यानी जिस विषय को कहानी के रूप में पढ़ाना है, उससे जुड़े मास्क, चित्रों के प्ले कार्ड सहित अन्य चीजें उसमें रहती हैं। खरगोश को देख सीखा रंग बनाना कक्षा एक के बच्चों को रंगों की पहचान कराने के लिए मैंने चिक्कू खरगोश का कैरेक्टर बनाया। दफ्ती पर उससे जुड़ी पिक्कर बनाई। फिर बच्चों को उसे देकर कहानी बताई। जैसे..चिक्कू खरगोश जंगल में रहता है। उसके सामने कई रंग के टब हैं। सबसे पहले उसने पीले फिर आगे लाल रंग में डुबकी लगाई। इससे वह ऑरेंज रंग का हो गया।
बच्चे यह आसानी से सीख गए कि पीला और लाल रंग को मिलाने से ऑरेंज बनता है। बच्चे इसे खुद करके सीखने की कोशिश भी करते हैं। गिनती से सिखाया एकता में बल शिक्षिका ने कक्षा एक के बच्चों को छोटी-बड़ी गिनती से एकता में बल का पाठ पढ़ाने का भी नया तरीका निकाला। क्लास के 10 बच्चों को क्ले देकर एक से जीरो तक गिनती बनवाई। जिसने जो संख्या बनाई, वही उसका नाम रख दिया। फिर पूछा बताओ कौन बड़ा.? तो सबने उंगली पर गिना तो पता चला नौ। फिर कहा, उल्टी गिनती में 9 से एक दूसरे पर टिप-टिप करते चलो। बच्चे वैसा ही करते रहे। बारी आई एक की।
उसने सोचा मैं किसको टिप करुं तो उसने अपने साथ जीरो मिला लिया। यानी 10 बनकर सबसे बड़ी गिनती बन गया। इससे सीखा कि एकता में एकता में बल होता है। रविवार को सबकी मौज बच्चों को दिनों के नाम सिखाने के लिए ड्राइंगशीट इस्तेमाल करती हैं। इस पर दिनों के नाम अंग्रेजी और हिंदी में लिखकर सात बच्चों को कैरेक्टर दे दिया जाता है। पूछा बताओ किसके बाद कौन आता है। दिन को लेकर बच्चे के मन में जो भी बात है, वह बोलता है। रविवार वाला कहता है, भई मेरे दिन सब छुट्टी मनाते हैं। सोमवार बोला, सप्ताह की शुरुआत होती है। ऐसे वह आसानी से समझ जाते हैं।