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सरकार के लिए खास हुई रबर फैक्ट्री की जमीन

लोकसभा चुनाव की घोषणा हो, उससे पहले रबर फैक्ट्री को लेकर शुरू किए प्रयास तेज हो गए

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 02:06 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 02:06 AM (IST)
सरकार के लिए खास हुई रबर फैक्ट्री की जमीन
सरकार के लिए खास हुई रबर फैक्ट्री की जमीन

जागरण संवाददाता, बरेली : लोकसभा चुनाव की घोषणा हो, उससे पहले रबर फैक्ट्री को लेकर शुरू किए गए प्रयासों को किसी अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी है। कोर्ट में मामला चल ही रहा है। उससे बाहर भी समझौते के प्रयास हैं। तमाम चर्चाओं के बीच शनिवार को लखनऊ से विशेष सचिव एवं मुख्य सचिव के स्टॉफ आफीसर ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी को बरेली भेजा गया। उन्होंने सर्किट हाउस में बैठक करके रबर फैक्ट्री के साथ आइटीआर के बारे में भी जानकारी की। ब्योरा इकट्ठा करने के बाद शाम में ही लखनऊ लौट गए।

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बैठक में सिंथेटिक एंड केमिकल लिमिटेड (रबर फैक्ट्री) के बारे में जानकारी के लिए विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, उद्योग केंद्र के उपायुक्त उद्योग अनुज कुमार और इंडियन टरपेनटाइन एंड रोजन कंपनी (आइटीआर) के संबंध में सिटी मजिस्ट्रेट अशोक कुमार शुक्ला को बुलाया गया था। विशेष सचिव ने अफसरों से दोनों फैक्ट्रियों के बारे में विस्तार से बातचीत की। बीच-बीच में पूछताछ भी करते रहे। उसके बाद दोनों फैक्ट्रियों की जमीन पर कब्जे के संबंध जानकारी ली। उसके बाद कागजी ब्योरा इकट्ठा किया। विशेष सचिव शाम में ही लखनऊ चले गए। इतनी लंबी पूछताछ के पीछे की वजह न स्थानीय अफसरों ने पूछी और न ही विशेष सचिव के स्तर से उन्हें बताई गई। हां, कयास तमाम तरह के चल रहे हैं। सरकार अरबों की जमीन का इस्तेमाल बड़े उद्योग लगाने के लिए कर सकती है। उसके लिए ही जमीन को फैक्ट्री मालिकों के कब्जे से निकालकर राज्य सरकार में दर्ज कराने की तैयारी है। रबर फैक्ट्री की जमीन

फतेहगंज पश्चिमी स्थित फैक्ट्री के पास 597 हेक्टेयर जमीन है। इसमें 197 हेक्टेयर में निर्माण कार्य और 337 हेक्टेयर जमीन खाली है। कुछ हिस्सा बीएसएफ के पास है। जमीन को लेकर बैंकों देनदारी और कर्मचारियों का करोड़ों रुपया बकाया है। आइटीआर फैक्ट्री

सीबी गंज स्थित आइटीआर फैक्ट्री 2004 में बंद हुई थी। फैक्ट्री के पास तीन लाख वर्ग मीटर से अधिक जमीन है। एक बड़ी कॉलोनी भी है, जिसमें 500 से ज्यादा क्वार्टर बने हुए हैं। इनमें ज्यादातर पुलिस के कब्जे में हैं। वर्जन

दोनों फैक्ट्रियों की जमीन से जुड़े विवाद की जानकारी के लिए अफसरों के साथ बैठक की थी। अब वापस लौटकर शासन को रिपोर्ट भेजेंगे।

ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, विशेष सचिव


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