ऐसा अनुभव जीवन में पहली बार हुआ
सुबह ऑफिस जाने की जल्दी न ही किसी वारदात के राजफाश का दबाव। शरीर पर वर्दी न ही ऑफिशियल फोन कॉल्स। मन में थोड़ी उथल-पुथल व मानस पटल पर घूमती अतीत की यादें। मुश्किल वक्त में भी डर नहीं था। बस परिजनों की चिंता थी कि बेवजह परेशान होंगे। 22 साल की नौकरी में वाकई यह एक अलग अनुभव रहा।
बरेली, जेएनएन : सुबह ऑफिस जाने की जल्दी, न ही किसी वारदात के राजफाश का दबाव। शरीर पर वर्दी न ही ऑफिशियल फोन कॉल्स। मन में थोड़ी उथल-पुथल व मानस पटल पर घूमती अतीत की यादें। मुश्किल वक्त में भी डर नहीं था। बस परिजनों की चिंता थी कि बेवजह परेशान होंगे। 22 साल की नौकरी में वाकई यह एक अलग अनुभव रहा। ऐसे फुर्सत के पल जीवन में पहले कभी नहीं आए।
यह कहना है कोरोना से जंग जीतकर लौटे एसपी क्राइम रमेश कुमार भारतीय का। सोमवार को उन्होंने जागरण के साथ अपने अनुभव साझा किए। 24/25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद कोविड-19 के नोडल अधिकारी के तौर पर उन्होंने मोर्चा संभाला। 14 जून को कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर वह भोजीपुरा स्थित एक मेडिकल कॉलेज में आइसोलेट थे। रविवार को उनकी दूसरी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वह अपने आवास पहुंचे। उन्होंने बताया कि लगातार कोविड-19 की ड्यूटी, हॉटस्पॉट मे जाने और इससे संबंधित अन्य गतिविधियों में सम्मिलित होने से रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी डर नहीं लगा। हां, इसकी जानकारी होने पर पत्नी और बच्चे अवश्य डर गए थे। आइसोलेशन के दौरान परिजनों व वरिष्ठ अधिकारियों ने संबल प्रदान किया। साथियों व स्टाफ की ओर से मिला सपोर्ट भी काफी कारगर रहा। स्वास्थ्य विभाग व अस्पताल प्रबंधन ने बेहतर इंतजाम किया है। सुबह नाश्ते से लेकर शाम के डिनर तक सब कुछ तय समय पर मिलता था। संक्रमण कब और कहां मिला, यह जान नहीं सका। कुछ और दिन क्वारंटाइन रहने के बाद ड्यूटी ज्वाइन करूंगा।