बरेली में मां से बेटा बाेला- मम्मी थाने के कितने चक्कर लगवाओगी, पापा से दोस्ती कर लो, जानिए आगे क्या हुआ
Bareilly Broken Family News मम्मी मैं पापा के साथ जाऊंगा आप भी चलो......हम सब साथ रहेंगे। बच्चा पापा की तरफ देखकर बिलख रहा था। मां उसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले गयी। वहीं दूसरी ओर से मैडम मैं अपनी दो दिन की बच्ची को छोड़कर आयी हूं।
बरेली, मधु सिंह। Bareilly Broken Family News : मम्मी मैं पापा के साथ जाऊंगा, आप भी चलो......हम सब साथ रहेंगे। बच्चा पापा की तरफ देखकर बिलख रहा था। मां उसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले गयी। वहीं दूसरी ओर से मैडम मैं अपनी दो दिन की बच्ची को छोड़कर आयी हूं। मेरी बेटी से मेरे ससुरालीजनों से मुझे अलग कर दिया। ये व्यथा है महिला थाने में आयी पीड़ित पति और पत्नी की। लेकिन इनकी आपसी कलह की वजह से इनके बच्चों का बचपन पिस रहा है। कोई अपनी मां के साथ है। तो कोई अपने पिता के साथ है। माता-पिता की आपसी कलह के कारण बच्चे परेशान है। माता-पिता से अलग रहने से एक तरफ बच्चों की परवरिश नहीं हो पा रही है। तो दूसरी तरफ बच्चे मानसिक रुप से भी तनाव में आ रहे हैं। जिसके चलते वो आक्रामक हो रहे हैं। गुमशुम हो रहे हैं।
केस- 1 ः कुतुबखाना निवासी शबनम (काल्पनिक नाम ) की शादी 1 साल पहले सीबीगंज निवासी राहुल से हुई थी। दो महीने पहले जिला महिला चिकित्सालय में बेटी को जन्म दिया। पति-पत्नी के आपसी विवाद के चलते बेटी को अस्पताल से छुट्टी होते ही पति ले गया। महिला थाने में मामला चल रहा है।
केस- 2 ः प्रेम नगर निवासी रीना (काल्पनिक नाम ) उच्च शिक्षित है। उसका पति से विवाद चल रहा है। उनके दो बच्चे हैं। बच्चे जाने माने स्कूल में पढ़ते हैं। पति-पत्नी दोनों ही अपने को सही साबित करने में लगे हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई सफर हो रही है। साथ ही मानसिक रुप से भी सुस्त हो रहे हैं।
यह दो केस तो बानगी भर हैं। महिला थाने में ऐसे 29 केस चल रहे हैं। जिसमें बच्चों को भी काउंसिलिंग के दौरान थाने के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कई बार तो बच्चे अकेले माता या पिता के साथ जाने को तैयार ही नहीं होते हैं। थाने में बच्चों को देखकर समझौता कराने का प्रयास करवाया जा रहा है। लेकिन कई केसों में ईगो सामने आने पर बात नहीं बन पाती है। ऐसे में बच्चे पिस रहे हैं।
ऐसे कई केस हैं। जिसमें माता-पिता के आपसी झगड़े के कारण बच्चे अलग-अलग रह रहे हैं। कई बच्चों की मानसिक हालत भी खराब होती जा रही है। उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। माता-पिता की काउंसिलिंग करायी जा रही है। लेकिन कई केसों में बात नहीं बन पाती है। जबकि प्रयास रहता है कि मामले बिगड़े न। लेकिन ऐसे केसों की संख्या बढ़ रही है। छवि सिंह, एसओ महिला थाना
बच्चों का सबसे ज्यादा लगाव माता-पिता से होता है। ऐसे में अगर बच्चों को एक के बिना रहना पड़े। या घर में किसी भी प्रकार का कलह तो बच्चों पर इसका मानसिक असर पड़ता है। बच्चे या तो गुमशुम हो जाते हैं। या फिर आक्रामक हो जाते हैं। अपराध, डर और अवसाद की स्थिति तक पहुंच जाते हैं। कुश अदा, काउंसलर मनकक्ष जिला अस्पताल
ब्रोकन फैमिली के बच्चे ज्यादा आक्रामक होते हैं। आगे चलकर ऐसे बच्चे जल्द ही आत्म हत्या का प्रयास करते हैं। डिप्रेस्ड रहते हैं। एक मां बच्चे की सारी जरुरतें पूरी कर सकती है। लेकिन पिता नहीं बन सकती। एक पिता भी बच्चे को पाल सकता है। लेकिन मां नहीं बन सकता है। इसलिए माता-पिता का साथ जरुरी है। लेकिन आज माता-पिता की महत्वाकांक्षा बच्चों पर भारी पड़ रही है। जो हमारे समाज के लिए घातक हैं। डा रंजू राठौर, समाजशास्त्री