Agle Janam Mohe Bitiya Na Keejo: नवजात को जिंदा दफन कर गए परिजन, फिर हुआ चमत्कार
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे अभियान की इस देश में कितनी जरूरत है यह बरेली की इस घटना से पता चलता है यहां के एक श्मशान में कोई बच्ची को घड़े में रखकर जिंदा ही दफन कर गया।
जेएनएन, बरेली। मां जिनसे आंगन महकता, वे अपनी ही चौखट पर ठौर नहीं पा सकीं। उन्हें जन्म देने वालों ने ही छोड़ दिया। मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इन बेटियों को अपनी गोद दी, उन्हें अपना लिया।
तीन दिन पहले शुक्रवार को भी ऐसा ही वाकया हुआ। बरेली के सीबीगंज में श्मशान भूमि में कोई एक बच्ची को मटके में बंद कर जिंदा दफन कर गया था। शाम करीब छह बजे हितेश अपनी नवजात बच्ची के शव को दफनाने गए तो अचानक वह जिंदा बच्ची दिखी और बाहर निकाल लिया। उसे नई जिंदगी दी, अस्पताल में भर्ती कराया जहां नर्से उसकी देखभाल कर रही हैं।
बच्ची का जिंदा रहना आश्चर्य से कम नहीं
सीबीगंज में घड़े में मिली नवजात को देखकर डॉक्टर भी इसे चमत्कार से कम नहीं मान रहे। हालांकि, उनका कहना है कि बच्ची को एक से दो घंटे पहले ही दबाया गया होगा। मिट्टी के नीचे उसे किसी तरह ऑक्सीजन मिलती रही होगी। फिलहाल प्रीमेच्योर और काफी कम वजन की बच्ची की हालत गंभीर बनी हुई है।
उसे जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) में रेडियंट वार्मर में रखा गया है। उसकी देखरेख को आठ नर्स लगाई गई हैं। उसका वजन करीब एक किलो एक सौ ग्राम है। जब वह अस्पताल लाई गई तो हाईपोथर्मिया में थी, यानी उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ चुका था। इंफेक्शन भी हो गया था। रेडिएंट वार्मर में रखकर उसके शरीर का तापमान बढ़ाया जा रहा है। उसे ऑक्सीजन में रखा गया है।
दो घंटे से अधिक नहीं रही होगी मिट्टी में
डॉक्टरों के अनुसार हाईपोथर्मिया होने पर शिशु अधिकतम दो से ढाई घंटे तक ही जीवत रह सकता है। बच्चे को अधिकतम दो घंटे पहले ही वहां दबाया गया होगा। सूखी मिट्टी होने के कारण उसे कही न कही से जरूर ऑक्सीजन मिल रही होगी, जिससे बच्ची जीवित रही। मिट्टी गीली होती तो ऑक्सीजन अंदर नहीं पहुंच पाती।
ऐसे बच्चों में कई बार होता चमत्कार
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ के अनुसार प्री-मेच्योर व कम वजन के बच्चों में अक्सर इस तरह के चमत्कार देखे गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि दिल की धड़कन थमने के काफी देर तक हल्की-हल्की धड़कन चलती रहती है।सीबीगंज में जन्म देकर गड्ढे में जिंदा दफन किया जबकि फरीदपुर में बिना ब्याही मां भी रखने को तैयार हुई
ऐसा ही मामला कुछ महीने पहले एक अस्पताल में आया था। तब नवजात बच्ची को छोड़कर उसके परिवार वाले चले गए। यह आरोप लगाते हुए कि बेटा पैदा हुआ था, मगर बेटी दी जा रही इसलिए नहीं ले जाएंगे। अब वह बच्ची वार्न बेबी फोल्ड में पल रही है।
बिना ब्याही मां ने अपना ली बच्ची
इन दो मामलों में जन्म देने वालों ने बेटी से किनारा कर लिया। जबकि फरीदपुर के भुता क्षेत्र में ऐसा वाकया हुआ था, जोकि आईना दिखाने वाला था। पिछले महीने बिन ब्याही मां ने बेटी को जन्म दिया था, पहले पालने से मना किया, मगर बाद में राजी हो गई। अब वही बच्ची को पाल रही।