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बरेली के कोविड अस्पतालों में कम पड़ रहे बेड, कॉरिडोर में हो रहा मरीजों का प्राथमिक इलाज

कोरोना पॉजिटिव आए तो मौजूदा हालात में अव्यवस्थाओं का शिकार होना लगभग तय है। भर्ती होने के लिए हाथ में रकम रखने के बावजूद कितनी सिफारिशें बेकार हो जाएं।अगर किसी तरह भर्ती भी हो गए तो मुकम्मल इलाज मिल जाए ये काफी मुश्किल है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Mon, 26 Apr 2021 09:07 AM (IST)Updated: Mon, 26 Apr 2021 09:07 AM (IST)
बरेली के कोविड अस्पतालों में कम पड़ रहे बेड, कॉरिडोर में हो रहा मरीजों का प्राथमिक इलाज
जिले में कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए सुचारू व्यवस्था है।

बरेली, जेएनएन।  कोरोना संदिग्ध होने के बाद जांच में निगेटिव आए तो ठीक, लेकिन अगर पॉजिटिव आए तो मौजूदा हालात में अव्यवस्थाओं का शिकार होना लगभग तय है। भर्ती होने के लिए हाथ में रकम रखने के बावजूद कितनी सिफारिशें बेकार हो जाएं।अगर किसी तरह भर्ती भी हो गए तो मुकम्मल इलाज मिल जाए, ये काफी मुश्किल है।

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दरअसल, जिले में कोरोना संदिग्ध मरीजों की जांच के लिए सुचारू व्यवस्था है। 300 बेड फ्लू कार्नर, जिला अस्पताल के अलावा सरकारी केंद्रों में जांच हो रही है। दो मोबाइल यूनिट की आठ टीमें भी हैं। इसके अलावा निजी लैब और कई कोविड और नॉन कोविड अस्पतालों मे भी जांच हो रही है। रोजाना साढ़े तीन से पांच हजार के करीब जांच जिले में होती हैं। लेकिन कोविड अस्पताल और बेड की कमी से जांच में कोविड पॉजिटिव आए मरीजों को भर्ती करने की समस्या सामने आ रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एसके गर्ग ने बताया कि कोविड अस्पतालों में भर्ती होने के लिए मरीजों को असुविधा न हो, इसलिए सभी कोविड अस्पतालों में नोडल अधिकारियों के नंबर जारी कर दिए हैं। जरूरतमंद लोग मरीज की स्थिति बताकर सीधे संपर्क कर सकते हैं।

300 बेड कोविड अस्पताल फुल

सरकारी स्तर पर जिले में सबसे बड़े 300 कोविड अस्पताल के सभी बेड फुल हो चुके हैं। पहली वजह, निश्शुल्क होने की वजह से यहां हर तबके के संक्रमित इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। दूसरा, डेडिकेटेड मेडिकल अस्पतालों में किसी न किसी वजह से मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे हैं। इससे हालात ये हो गए हैं कि यहां मरीजों का शुरूआती इलाज कॉरिडोर में करना पड़ रहा है।

आक्सीजन ठीक तो दे रहे होम आइसोलेशन

पहले जहां युवा और एसिम्टोमेटिक संक्रमितों को ही होम आइसोलेशन में भेजा जा रहा था। वहीं, वृद्ध और मरीज को हर हाल में अस्पताल में भर्ती किया जा रहा था। लेकिन अब आक्सीजन लेवल देखने के बाद ही तय होता है कि मरीज अस्पताल में भर्ती होगा या नहीं। अगर आक्सीजन लेवल ठीक है तो बुजुर्ग हो या जवान, अधिकांश जगह होम आइसोलेट ही कर रहे।

डीएसओ या इंचार्ज को बेड अलाट करने की जिम्मेदारी

जिले में संक्रमितों को जांच में पॉजिटिव आने के बाद कहां भर्ती कराया जाना है या कहां रेफर होंगे, इसका फैसला जिला सर्विलांस अधिकारी या बेड अलाट करने के इंचार्ज लेते हैं। इनके पास लगभग दो-दो घंटे का अस्पताल में भर्ती मरीजों का डेटा रहता है। इसके आधार पर तीमारदार या मरीज के आवेदन पर ये रेफरल स्लिप के जरिए हॉस्पिटल बेड देते रहे हैं। हालांकि अब मरीज की स्थिति के हिसाब से ही इन्हें भर्ती किया जा रहा है।


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