बरेली में शंकराचार्य बोले- जरूरत पड़ने पर संत कर सकते है शासन और नियंत्रण Bareilly News
देश की बढ़ती आबादी परेशानियां बढ़ा रही हैं। सरकार भी जनसंख्या को लेकर चिंतित है। देश की व्यवस्था और आवश्यकता के अनुसार जनसंख्या होनी चाहिए।
बरेली, जेएनएन : देश की बढ़ती आबादी परेशानियां बढ़ा रही हैं। सरकार भी जनसंख्या को लेकर चिंतित है। देश की व्यवस्था और आवश्यकता के अनुसार जनसंख्या होनी चाहिए। यह कहना है पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज का। रविवार को आनंद आश्रम और हरि मंदिर में होने वाली विचार गोष्ठी के लिए वह शनिवार देर शाम शहर पहुंचे।
रात करीब साढ़े नौ बजे रामपुर गार्डन स्थित अशोक गोयल के निवास पहुंचे। वहां कई बिंदुओं पर बात की। कोरोना वायरस को लेकर सवाल हुआ तो बोले, व्यवस्था संचालन का जिम्मा शासन तंत्र का है। हां, यदि वह असमर्थ है तो साधु-संत शासन तंत्र का नियंत्रण और शोधन दोनों कार्य कर सकते हैं। कहा कि दुष्ट व्यक्ति प्रकृति को परेशान करते हैं तो अंत में प्रकृति इसका बदला लेती है। किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए।
राजनीति पर बोले, देश के सभी राजनीतिक दल सत्ता मोह से ग्रस्त हैं। स्वतंत्र भारत में भी हंिदूू अपेक्षित स्थान नहीं पा सके हैं। धर्म को उपेक्षित करने का प्रयास किया गया। एक अन्य धर्म के आने के बाद भारत की एकता विभाजित हो गई। उन्होंने कहा कि आर्थिक, राजनीतिक या अन्य व्यवस्थाओं के लिए हर वर्ग-समूह की अपनी भूमिका है। उसी के अनुसार अपने कर्तव्य का निर्वाहन करना चाहिए। हर कोई सन्यासी बनने का विचार न करे। इसके अलावा उन्होंने तलाक को बड़ी समस्या बताया।
शंकराचार्य ने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाले बटुकों में देववाणी सीखने की भावना विकसित करनी चाहिए। माता-पिता धनी होने पर अपने बच्चे को अंग्रेजी पढ़ने भेजते। यह सुनकर ब्राrाण बटुकों में ग्लानि होने लगती है। इसलिए अध्यापकों को उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए। उन्हें सामयिक घटनाक्रम भी याद कराएं जिससे वह किसी भी क्षेत्र में खुद को दीनहीन न समङों।
आधुनिक विधा से विश्व हो रहा दिशाहीन : वैदिक महर्षियों ने विश्व को सभी शास्त्र प्रदान किए हैं। इसके बाद भी सनातन पद्धति लुप्त हो चुकी हैं। हंिदूू का कालांतर विलोप हो रहा है। आधुनिक विधा के बावजूद विश्व दिशाहीन हो रहा है। ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत आधुनिक विकास की चपेट में आकर विकृत हो गए हैं। भारत का कोई भी ऐसा प्रांत नहीं है जो सर्वसंपन्न होकर देश का उद्धार कर सके।
क्योंकि, भारत के शिक्षित नागरिक विदेशों में बिक जाते हैं। इस दौरान केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, शहर विधायक राजेश अग्रवाल, महेंद्र कुमार अग्रवाल, संजीव अग्रवाल, योगेश गोयल, गिरधर खंडेलवाल, दिनेश गोयल, पवन सक्सेना, विष्णु कुमार सर्राफ, जितेंद्र रस्तोगी आदि रहे।