Move to Jagran APP

सात नाथ विराजमान है यहां, जानिए महिमा

जागरण संवाददाता, बरेली: कभी सोचा है कि बरेली को नाथों की नगरी क्यों कहा जाता है। साव

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 09:57 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 10:52 AM (IST)
सात नाथ विराजमान है यहां, जानिए महिमा
सात नाथ विराजमान है यहां, जानिए महिमा

जागरण संवाददाता, बरेली: कभी सोचा है कि बरेली को नाथों की नगरी क्यों कहा जाता है। सावन के पहले सोमवार पर हम आपको बताते हैं कि इसकी वजह क्या है। दरअसल, शहर की चारों दिशाओं में भोलेनाथ के सात दरबार होने के कारण इस शहर को सप्तनाथ नगरी भी कहा जाता है। भगवान शिव के यह सात मंदिर पौराणिक महत्व के हैं। हर मंदिर के पीछे एक पुरातन कहानी जुड़ी है। सैकड़ों साल पहले से आज तक, इन मंदिरों हर शिवभक्त की आस्था जुड़ी है। सावन में हरिद्वार और कछला से गंगा जल लाकर इन मंदिरों में भगवान शिव को चढ़ाया जाता है।

loksabha election banner

बनखंडीनाथ मंदिर-कहा जाता है कि महारानी द्रोपदी ने पूर्व दिशा में अपने गुरु के आदेश पर शिवलिंग स्थापित कर कठोर तप किया था। उस वक्त जोगीनवादा क्षेत्र में घना जंगल होता, इस कारण मंदिर का बनखंडीनाथ पड़ गया।

मढ़ीनाथ-शहर के पश्चिम दिशा में स्थित इस शिवालय के बारे में भी प्राचीन कहानी है। एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहां मंदिर स्थापना हुई और नाम रखा गया मढ़ीनाथ मंदिर। अब इस मंदिर के आसपास के क्षेत्र को मढ़ीनाथ मुहल्ला के नाम से जाना जाता है।

त्रिबटीनाथ: उत्तर दिशा में स्थित मंदिर सन् 1474 में हुआ। बताया जाता है कि उस वक्त वहां वन क्षेत्र था। एक चरवाह तीन वट वृक्षों के नीचे विश्राम कर रहा था। उस वक्त स्वप्न में भोलेनाथ आए और उस स्थान की खोदाई करने को कहा। त्रिवट के नीचे खोदाई की तो शिवलिंग प्रकट हुआ। तीन वटों के नीचे शिवलिंग मिलने से इस मंदिर का नाम त्रिवटी नाथ पड़ गया।

तपेश्पर नाथ: शहर के दक्षिण दिशा में स्थित यह मंदिर ऋषियों की तपोस्थली रहा। उन्होंने कठोर तप कर इस देवालय को सिद्ध किया इसलिए नाम तपेश्वरनाथ मंदिर पड़ा।

धोपेश्वर नाथ: पूर्व दक्षिण अग्निकोण में स्थापित इस मंदिर को महाराजा दु्रपद के गुरु एवं अत्री ऋषि को शिष्य धू्रम ऋषि ने कठोर तप से सिद्ध किया। उन्हीं के नाम पर देवालय का नाम धूमेश्वर नाथ पड़ा जोकि बाद में धोपेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा।

अलखनाथ: आनंद अखाड़ा के अलखिया बाबा ने इस स्थान पर कठोर तप किया। शिवभक्तों के लिए अलख जगाई। उन्हीं के नाम से जोड़कर इस मंदिर का नाम अलखनाथ पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.