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बलिदानी का पार्थिव शरीर देख खौला भाभियों का खून, बोलीं- बेकार नहीं जाएगा बलिदान, हमारे पति लेंगे बदला

Saheed Saraj Singh शाहजहांपुर के वीर सारज सिंह का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। सेना जरूर बदला लेगी। हमारे पति भी सेना में हैं वे आतंकवादियाों को मारकर बदला जरूर बदला लेंगे। यह कहते हुए सारज सिंह की भाभी बलजिंदर कौर तथा सुखजिंदर कौर की आंखे भर आयी।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 01:53 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 01:53 PM (IST)
बलिदानी का पार्थिव शरीर देख खौला भाभियों का खून, बोलीं- बेकार नहीं जाएगा बलिदान, हमारे पति लेंगे बदला
बलिदानी का पार्थिव शरीर देख खौला भाभियों का खून, बोलीं- बेकार नहीं जाएगा बलिदान

बरेली, जेएनएन। Saheed Saraj Singh : शाहजहांपुर के वीर सारज सिंह का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। सेना जरूर बदला लेगी। हमारे पति भी सेना में हैं, वे आतंकवादियाें को मारकर बदला जरूर बदला लेंगे। यह कहते हुए सारज सिंह की भाभी बलजिंदर कौर तथा सुखजिंदर कौर की आंखे भर आयी।

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सारज सिंह को अंतिम विदाई देकर देवरानी रंजीत कौर को साथ लेकर घर लौटी गुरप्रीत की पत्नी बलविंदर कौर, सुखवीर की पत्नी सुखविंदर कौर का एक ही कहना था कि वीर सारज बहुत बहादुर थे। वह घर में हर किसी का ख्याल रखते थे। हर किसी की चेहरे पर मुस्कान लाना उनका फन था। उनके जाने से मलाल है। लेकिन देश के लिए उन्होंने प्राण न्याैछावर किए, इसलिए हर किसी को गर्व है।

हमें और कुछ नहीं सिर्फ बदला चाहिए

बलविंदर कौर बोली हमने अपने पति गुरप्रीत से भी बोल दिया है। वह सेना में है, इसलिए खुद भी बदला लें। सरकार और सेना भी कुछ ऐसा करें कि पूरी घाटी आतंकवादी  विहीन हो जाए। सुखजिंदर का भी यही कहना था। बोली सारज का उनके पति जरूर बदला लेंगे।

छप्पर में शुरू की गृहस्थी, दूध बेचकर भरी बच्चों की फीस

सारज के पिता विचित्र सिंह 32 वर्ष पूर्व कुइयां महोलिया से अख्ति्यारपुर आए थे। उन्हेें जमीन मिली थी। खेत में छप्पर डालकर उन्होंने जिंदगी शुुरू की। पास के निजी इंटर कालेज में बच्चों को प्रवेश दिलाया। सेना की तैयारी व पढ़ाई की भरने के लिए दूध भी बेचा। खुद विचित्र सिंह ने संघर्ष को साझा किया। बोले सुखवीर सबसे पहले 2009 में सेना में भर्ती हो गए। 2013 में बड़ा बेटा ग्ररुपीत भी सेना में भर्ती हो गया। इसके बाद सारज ने तैयारी की, उनकी इच्छा भी पूरी हो गई। -

कच्ची सड़क व खेत में दौड़कर सेना के लिए बनाई थी राह तीनों भाइयों ने गांव की कच्ची सड़क व फसल कटने के बाद खेत और मेड़ पर दौड़कर सेना के लिए तैयारी की। अपने बूते सेना में भर्ती के लिए राह बनाई। सारज सिंह के बलिदान पर गुरुवार को पूरा क्षेत्र विचित्र सिंह और उनके बेटों की मेहनत और संघर्ष की दुहाई दे रहा था।


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