डिजिटल सिस्टम में बच नहीं पाएंगे घोटालेबाज
गरीबों के हिस्से का अनाज पहले भी घोटाले की भेंट चढ़ता रहा था, मगर डिजिटल सिस्टम में अनाज की निगरानी बढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, बरेली : गरीबों के हिस्से का अनाज पहले भी घोटाले की भेंट चढ़ता रहा था, मगर डिजिटल सिस्टम में अनाज की निगरानी बढ़ गई है। अगस्त में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के डिजिटल सिस्टम में सेंधमारी कर घोटाले को अंजाम दिया गया। पहली बार में ही यह घोटाला पकड़ में आ गया। बरेली समेत प्रदेश के 43 जिलों में हुए राशन घोटाले ने यह संकेत भी दे दिया है कि अब घोटालेबाज बच नहीं पाएंगे।
खाद्य एवं रसद विभाग की उपायुक्त राजन गोयल के मुताबिक शहरी क्षेत्र में राशन वितरण की पारदर्शिता के लिए ही प्वाइंट टू सेल (पीओएस)
मशीन दी गई। इन मशीनों में राशन कार्ड धारक का आधार नंबर फीड कर अंगूठा लगाते ही सारी डिटेल स्क्रीन पर आ जाती है। जबकि मैनुअल सिस्टम में यह शिकायतें सामने आती रहती थीं कि कोटेदार राशन नहीं दे रहे हैं। ऑनलाइन वितरण में अगर राशन नहीं दिया जाएगा, तो उसका भी रिकॉर्ड रहेगा। यानी किसी कार्ड धारक के हिस्से का अनाज गबन नहीं हो सकता।
खत्म हो जाएगा घोटाले का खेल
खाद्य एवं रसद विभाग की उपायुक्त राजन गोयल का मानना है कि ऑनलाइन राशन वितरण प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है। विभाग की अपनी एक्सपर्ट टीम नहीं है। आगे चलकर विभाग को तकनीकी विशेषज्ञ मिल जाएंगे। तब यह सिस्टम शानदार तरीके से काम करेगा। अभी जो घोटाला हुआ है, वो इसी सिस्टम की वजह से पकड़ा भी गया।
मशीन वितरण का अटका काम
खाद्य एवं रसद विभाग अगस्त महीने में ही ग्रामीण क्षेत्र की राशन की दुकानों को डिजिटल करने की तैयारी में था। मगर घोटाला सामने आने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में मशीने बांटे जाने का काम अटक गया है।